इसमें कोई दो राय नहीं कि कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां महिलाओं को महिला होने की कोई तरजीह नहीं मिलती, वहां पर वह अपने दम पर ही अपनी जगह बनाती है. आज एक ऐसे ही प्रोफेशन से आपको रूबरू कराते हैं, जिसमें पुरूषों का वर्चस्व है, लेकिन कुछ महिलाओं ने अपनी हिम्मत के बूते इसमें भी अपनी जगह कायम कर खुद को साबित कर दिया.
रोहतक शहर में लोकल ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा साधन ऑटो रिक्शा हैं. तकरीबन 4000 आटो रिक्शा रजिस्टर्ड हैं और पूरे शहर में एक-स्थान से दूसरे स्थान तक सवारियों को ले जाती हैं. तकरीबन 5 साल पहले जिला प्रशासन के सहयोग से 10 महिलाओं ने भी पिंक ऑटो से अपना भविष्य आजमाना चाहा. हालांकि शुरू में उनको काफी सामाजिक और आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पडा, लेकिन अब उनका जीवन बिल्कुल बदल गया.
अपने पैरों पर खडी होकर इन महिलाओं ने अपने परिवारों को भी सक्षम बना दिया. अब तो इन महिलाओं के जज्बे को देखकर कई महिलाएं ओर इस मुहिम में शामिल हो गई. अब 25 गुलाबी ऑटो शहर में घूमती रहती हैं और महिलाएं फख्र से अपने परिवार का सहारा बनी हुई हैं.
इनकी कामयाबी की कहानी के बारे में बताया जाए तो आपको भी हैरत होगी कि सुमित्रा ने 2014 में ऑटो चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण किया, बच्चों को पढाया और अब बड़ा बेटा एयरफोर्स में भर्ती हो गया और छोटा भी इसी की तैयारी कर रहा है.
सुमित्रा का कहना है कि उन्हें समाज की परवाह नहीं, अपने परिवार की परवाह कर आगे बढ़ रहे हैं. वहीं, राजपति के पति की मौत के बाद उसने भी गुलाबी ऑटो लिया और अपने 3 बच्चों की बेहतर परवरिश कर रही हैं. वीना का कहना है कि किसी की नौकरी करने से बेहतर है, अपना खुद का काम करो. हम पति-पत्नी दोनों अलग-अलग काम करते हैं.
इनकी ऑटो में बैठने वाली महिलाएं भी खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं, वे इनके हौंसले की सराहना करती हैं. उनका कहना है कि ये समाज के लिए एक अच्छी बात है और अपने बच्चों को पालने के लिए अगर महिलाएं काम कर रही हैं तो उनका हौंसला बढाना चाहिए.
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