महज़ एक आम ज़िन्दगी को बचाने के लिये जिला प्रशासन कांगड़ा जिस तरह से रात-दिन एक कर रहा है, चौपर्स के ज़रिए लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, वायु सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है, सैकड़ों मोन्टेनरिंग को सुराग ढूंढने के लिये लगा दिया गया है.
ये वाकई में अपने आप का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन है, जो इन दिनों न केबल कांगड़ा जिला से ऑपरेट किया जा रहा है. इसमें अब कुल्लू जिला और चम्बा को भी शरीक कर लिया गया है. दरअसल ये सर्च ऑपरेशन किसी वीवीआइपी की गुमशुदगी के बाद नहीं हो रहा बल्कि बैजनाथ के बीड़ स्थित चौगान निवासी उस आम शख़्स के लिये शुरू किया गया है, जिसे पैराग्लाइडिंग का शौक है और बीते एक दशक से पैराग्लाइडिंग कर रहा था, और 5 दिन पहले उसकी ओर से बिलिंग से सोलो फ़्लाइंग की गई थी. मगर दोबारा बिलिंग में लैंडिंग करने की बजाय वो उन बिलिंग की वादियों में कहां खो गया.
उसका आज दिन तक कोई सुराग नहीं मिला. जिला प्रशासन प्रमुख जिलाधीश राकेश प्रजापति भी मान रहे हैं कि कुछ सालों की लिहाज से देखा जाये तो ये अब तक का सबसे बड़ा खोजी अभियान है जिसमें सैकड़ों की मैन पावर के साथ-साथ मशीनरी भी चौबीसों घन्टे काम कर रही है. साथ ही इसमें कांगड़ा की बजाय दूसरे जिलों की भी मदद ली जा रही ह., बावजूद इसके अभी तक लापता हुये पायलट का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है.
काबिलेगौर है कि कांगड़ा घाटी हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के हब के तौर पर जानी जाती है यहां मोन्टेनरिंग, ज़िपलाइन, होरशराडिंग, कैम्पिंग, ट्रेकिंग, स्विमिंग समेत पैराग्लाइडिंग भी होती है. ऐसे में हर साल यहां लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं और अमूमन हर साल यहां कोई न कोई सैलानी लापता भी होता ही है, जिसको मद्देनजर रखते हुये प्रशासन हर बार लोगों को और सैलानियों को अलर्ट भी करता है.
बावजूद इसके हर साल इस तरह के हादसे पेश आ ही जाते हैं जिससे जिला प्रशासन को लापता हुये सैलानियों को खोजने और रेस्क्यू करने में बेहद कड़ी मशक्कत के सामना करना पड़ता है. अभी हाल ही में कांगड़ा जिला प्रशासन को 73 के करीब सैलानियों को भारी बर्फ़बारी से भी रेस्क्यू करने करवाने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था.