हिमाचल के सिरमौर जिले में पांवटा साहिब की एक महिला को न तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही कोई सामाजिक संस्था अभी तक उसकी सहायता करने आगे आई है.
विधानसभा क्षेत्र पांवटा साहिब के पातलियां पंचायत की ललित देवी पर एक साथ दुखों के कई पहाड़ टूट पड़े हैं. किसी समय किराये के मकान में खुशहाली से रहने वाली ललित देवी पिछले 8 सालों से उस झोपड़ी में रह रही है, जिसकी बरसात में छत टपकती रहती है. सांप-बिच्छुओं की दहशत से रात को नींद भी नहीं आती.
ललित देवी के दो बेटे है और दोनों ही गंभीर बीमारी से जूझ रहे है. एक बेटे के दिल में छेद है, जिसका इलाज आईजीएमसी शिमला में चल रहा है. छोटा बेटा भी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है.
छोटे बेटे सार्थिक की सिर्फ एक किडनी है और वह डायबिटीज (शुगर) की चपेट में भी आ गया है. उसे दवाओं के अलावा दिन में चार बार इंसुलिन देनी पड़ती है. ललित देवी पैसों के भाव के चलते दो साल के बेटे को चेकअप के लिए पीजीआई नहीं ले जा सकी हैं.
हालांकि, इलाज से बड़े बेटे के दिल के छेद में सुधार हुआ है, लेकिन छोटे बेटे की हालत देख कर ललित की आंखें अक्सर भर आती है.
इतना ही नहीं महिला का पति भी स्किन एलर्जी से जूझ रहा है. इस बीमारी की वजह से दिहाड़़ी-मजदूरी करने वाला महिला का पति कुछ दिन ही काम कर पाता है और अधिक समय झोपड़ी में ही गुजारता है.
ललित देवी लोगों के घर में खाना बनाने का काम करती है, लेकिन इन दिनों वो दो भी काम नहीं कर पा रही है. ऐसे में बच्चो की दवाइयां और दो वक्त की रोटी के लिए भी परिवार को संघर्ष करना पड़ रहा है.
परिवार को न तो आवास योजना का लाभ मिल रहा है और न ही अब तक आयुष्मान भारत और हिमकेयर जैसे कार्ड मिल पाए हैं.
पंचायत प्रतिनिधि का कहना है कि महिला के परिवार के मकान का प्रस्ताव पास कर सरकार को जरूर भेजा है, लेकिन उसका अभी तक कोई जवाब नहीं आया.