हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र चुराह में आधी रात के बाद जमकर भारी बर्फबारी हुई. बर्फबारी करीब 6 इंच के आसपास हुई है जिसके चलते किसानों-बागवानों ने राहत की सांस ली है.
यहां सीज़न की बर्फ़बारी के लिये हमेशा स्थानीय लोगों को इंतज़ार रहता है ताकि उनकी फसल अच्छी हो मगर इस साल मौसम की बेरुखी ने उनके मंसूबों पर पानी फेर रखा है, फिर भी जाती हुई सर्द सीजन की इस बर्फ़बारी से लोगों ने राहत की सांस ली है.
पहाड़ी इलाकों में इन दिनों सेब के बगीचे में बागवान काफी मेहनत के साथ काम करते हैं जिसके बाद अगर बर्फबारी होती है तो सेब के बगीचों के लिए बेहतर मानी जाती है. प्रूनिंग और गुड़ाई के बाद अब बागवान सेब के बगीचों में दवाइयों का छिड़काव भी करेंगे. यही कारण है अब भारी बर्फ़बारी होने से किसानों और बागवानो के चेहरों पर ख़ुशी साफ़ देखी जा सकती है.
किसानों ने भी इन दिनों खेतों में गेहूं, सरसों, मटर, आलू और जौ समेत कई ख़रीफ़ की फसलें बोई हुई हैं उसके लिए बारिश और बर्फ़बारी बेहद ज़रूरी है साथ ही पहाड़ी इलाकों में किसान बागवान प्राकृतिक रूप से बारिश और बर्फ़बारी पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में अब एक बार दोबारा किसान खुश हुए हैं.
किसानों की माने तो भविष्य में भी जाता हुआ सर्द सीज़न अगर इसी तरह से दो-तीन बार बर्फ़बारी की सौगात दी जाये तो इससे किसानों बागवानों के लिए बेहतर होगा. जहां एक ओर भारी बर्फ़बारी और बारिश से किसानों बागवानों ने राहत की सांस ली है तो वहीं पहाड़ों में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से यहां के स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल हो चुका है. यहां लोगों को ऐसे हालातों में बिजली, पानी, सड़क आदि सुविधाओं से लम्बे वक़्त तक जूझना पड़ेगा, तो वहीं कई बार दिहाड़ीदार गरीब तबके के लोगों को घर में राशन जैसी समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है.
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