Mahatma Gandhi Death Anniversary: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बापू जब दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे तो, गोडसे ने गोडसे ने सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से उन्हें तीन गोलियां मारी थी.
शिमला. सोमवार यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Death Anniversary) की पुण्य तिथि है. आज ही के दिन में साल 1948 महात्मा गांधी की नाथू राम गोडसे (Nathu Ram Godse) ने हत्या कर दी थी. विश्वभर में अंहिसा के पुजारी को आज याद किया जा रहा है.
हिमाचल से भी गांधी जी का गहरा नाता रहा है. वह कई बार ब्रिटिश भारत की समर कैपिटल शिमला आए थे. इसके अलावा, सोलन की डगशाई छावनी (Dagshai Jail Solan) में मिलिट्री जेल भी गांधी जी के हिमाचल आने की गवाह है.
जानकारी के अनुसार, अंग्रेज इस जेल में बागी सैनिकों को रखते थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस जेल में दो दिन बिताए थे. वे यहां बतौर कैदी नहीं, बल्कि जेल में बंद आयरिश कैदियों से मिलने आए थे. वहीं, गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को भी इस जेल में रखा गया था. माना जाता है कि गोडसे जेल में अंतिम कैदी थे. इस जेल को अब लोगों के लिए खोल दिया गया है. यहां बड़ी संख्या में रोजाना सैलानी आते है...
जेल के साथ एक संग्रहालय है, जिसमें जेल और डगशाई से जुड़ी स्मृतियां रखी गई हैं. बड़ी संख्या में यहां सैलानी आती हैं. साथ ही इस जेल में अंग्रेजों के जमाने में कैसे कैदियों को यातनाएं और रखा जाता था, वह आज भी मौजूद है. जेल के बारे में दिवारों पर जानकारी लिखी गई है.
जेल का स्पेशल सेल: डगशाई जेल में एक सेल है, जहां गांधी जी की तस्वीर है और साथ ही एक कुर्सी और मेज भी रखी गयी है. बताया जाता है कि 1 अगस्त 1920 में महात्मा गांधी ने जेल में दो दिन बिताए थे. इसी जेल में बागी आयरिश सैनिकों को रखा गया था. आयरिश सैनिकों की गिरफ्तारी ने गांधी जी को यहां आने के लिए प्रेरित किया. गांधी महान आयरिश नेता इयामन डे वेलेरा के दोस्त और प्रशंसक थे.
भारतीय सेना के जवान यहां लोगों को अब गाइड करते हैं. उन्होंने बताया कि जिस वीआइपी सेल में महात्मा गांधी ने रात बिताई थी, उसमें उनकी तस्वीर लगाई गई है. यहां एक गद्दा और चरखा भी रखा गया है. साथ ही डगशाई जेल को अब म्यूजियम बनाया गया है और यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
नाथूराम गोडसे जेल के अंतिम कैदी: महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को शिमला में ट्रायल के दौरान डगशाई जेल लाया गया था. जेल के मुख्य द्वार की एंट्री के साथ वाले सेल में गोडसे को रखा गया था. यहां पर गोडसे की फोटो दीवार पर लटकी हुई है. गोडसे इस जेल का अंतिम कैदी था. उसके बाद जेल में कैदियों को रखना बंद कर दिया गया था.
कहां है डगशाई जेल: चंडीगढ़ से 40 किमी और सोलन के कसौली से 11 किमी दूर कुमारहट्टी के पास यह जेल स्थित है. यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं. पहाड़ी पर बनी सेंट्रल जेल अंडेमान निकोबार की जेल की ही तरह है. यहां कई जाने-माने स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था.
इस वजह से पड़ा डगशाई नाम: यहां कैदियों के माथे पर गर्म सलाख से माथे पर दागा जाता था. इसे दाग-ए-शाही कहा जाता था. इसी वजह से इस स्थान को अब डगशाई कहा जाता है. इस जेल में उस समय बागी सिख सैनिकों को भी रखा गया था और बाद में इन्हें फांसी दी गई थी. डगशाई इलाके को 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था. अंग्रेजों ने पटिय़ाला के राजा से इस क्षेत्र के पांच गांवों को मिलाकर डगशाई की स्थापन...
शिमला मे चला था ट्रायल: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बापू जब दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे तो, गोडसे ने गोडसे ने सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से उन्हें तीन गोलियां मारी थी. इसके बाद शिमला की अदालत में ट्रायल चला. नाथूराम गोडसे को 8 नवंबर, 1949 को फांसी की सजा सुनाई गई थी.
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