नदी का पानी दूषित है, बावजूद ये लोग पीने को लाचार हैं. इस घाट में सिर्फ आदमी ही नहीं बल्कि गाय, बैल, बकरी और कुत्ते भी पानी पीते हैं. जब मर्जी तब यहां डुबकी लगाकर कुत्ते चले जाते हैं. बावजूद ग्रामीणों को विवश होकर यह गंदा पानी पीना पड़ता है. अभी बरसात का मौसम है और अगर नदी का पानी पीएंगे तो अलग-अलग नई बीमारियों की फैलने की संभावना बढ़ जाती है.
यहां की स्थिति देखने के बाद पता चलता है कि मानों कि सरकार ने इन ग्रामीणों को अपने ही हाल पर छोड़ दिया है. पिछले वर्ष भी नदी के गंदे पानी पीने की वजह से यहां पर कई लोगों को डायरिया और हैजा जैसी वायरल बीमारियां हुईं थीं. लेकिन, समस्या तब और भी विकराल हो गई थी जब रास्ता नहीं होने की वजह से लोगों को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया जा सका.
स्थिति तो इतनी विकट है कि मेडिकल स्टाफ इस गांव में आ सकते हैं. क्योंकि अभी भी यहां पर इस गांव तक पहुंचने के लिए रास्ते नहीं बनाए गए हैं. लोग मुश्किल से पैदल इस गांव तक पहुंच पाते हैं. ना ही मोटरसाइकिल, ना ही साइकल और ना ही एंबुलेंस यहां तक पहुंच सकती है. ऐसे में अगर इस बार स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई तो बारिश के मौसम में फिर से डायरिया हैजा जैसी बीमारियां फैल सकती है.
इस मामले को लेकर जब उपायुक्त नमन प्रियेस लकड़ा से बात की गई तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस गांव की समस्या को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी तक इस मामले का संज्ञान हमारे पास नहीं है. लेकिन न्यूज 18 के माध्यम से पता चला है. जल्दी संबंधित विभाग के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया जाएगा ताकि वहां की समस्याओं को सुलझाया जाए.
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