हाथियों ने बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में लोगों को आतंकित कर रखा है. शाम होने पर हाथी जंगल से निकलकर किसी ना किसी गांव मे कहर बरपाते हैं. वहीं सुनसुनिया जंगल के बारे में लोग कहने लगे हैं कि अब यह स्थान हाथियों का शरण स्थल बनता जा रहा है. जंगल में हाथियों का जमावड़ा रहता है. लोग अपनी जान जोखिम में डालकर हर दिन पहरेदारी करते आ रहे हैं.
सुनसुनिया जंगल से सटे सभी गांव ग्रामीण हाथियों के हमले से बचने के लिए रात में पहरेदारी करते हैं. गोदराशोस गांव के युवा वर्ग गांव जाने वाले मुख्य सड़क पर खड़े होकर हाथियों पर नजर रखते हैं. इसके बाद जैसे ही सूचना मिलती है सारे ग्रामीणों को सूचित कर दिया जाता है. फिर वे अपने तरीके से हाथियों को खदेड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं.
सुससुनिया गांव के ग्रामीण जंगल के करीब होने के कारण जंगल मे हाथियों की चहल पहल पर नजर रखते है. युवा वर्ग टोली बनाकर जंगल में पैदल जाते हैं. हाथी किस जगह है, कितनी संख्या में है और वह किस गांव का रूख कर सकते हैं, जैसी सभी बातों पर भी नजर रखते हैं. वहीं जंगल में पेड़ों पर चढ़कर हाथियों को देखा जाता है जैसे ही कोई हाथी की हरकत होती है वह भागकर अपनी जान बचाते हैं.
वन विभाग के QRT टीम भी ग्रामीणों को साथ होती है । QRT टीम को ऐसे ही सूचना मिलती है वे अपने दल के साथ गांव पहुंचकर हाथी को भगाते हैं. हाथियों को भगाने का सिलसिला बीते 2 सालों से चला आ रहा है लेकिन हाथी बंगाल सीमावर्ती क्षेत्र चाकुलिया और बहराहोड़ा प्रखंड से जाने का नाम नहीं ले रहे हैं. इसका कारण यह भी है कि बंगाल की ओर से सीमावर्ती इलाके में बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए गए हैं , जिससे हाथी झारखंड के सीमावर्ती गांव के क्षेत्र में ही रहता है.
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