रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2019) के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो गई हैं. राज्य में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन की सरकार बनना लगभग तय है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अध्यक्ष हेमंत सोरेन (Hemant Soren) इस गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री होंगे. हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति में बड़ा नाम हैं और उनकी गिनती सूबे के कद्दावर नेताओं में होती है.
हेमंत पहले भी राज्य के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम रह चुके हैं. उनके पिता शिबू सोरेन (Shibu Soren) की झारखंड राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पिता के साथ हेमंत ने बचपन से राजनीति का ककहरा सीखा है. शिबू सोरेन तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
हेमंत का जन्म 10 अगस्त, 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में हुआ था. 44 वर्षीय हेमंत के दो भाई और एक बहन हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पटना हाईस्कूल से की. इसके बाद रांची स्थित बीआईटी मेसरा में एडमिशन लेकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की. हालांकि, राजनीतिक वजहों और पारिवारिक खतरों के कारण, वो अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सके और पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.
हेमंत सोरेन की शादी निजी स्कूल की संचालिका कल्पना से हुई थी. हेमंत के दो बेटे हैं, उनके नाम- निखिल और अंश हैं.
हेमंत की मां रूपी सोरेन उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थीं. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. हेमंत की राजनीति में दिलचस्पी थी. वर्ष 2003 में उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2019 में हेमंत सोरेन राज्यसभा के सदस्य चुने गए. बाद में उन्होंने दिसंबर 2009 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में संथाल परगना की दुमका सीट से जीत हासिल की और राज्यसभा से अपना इस्तीफा दे दिया
वर्ष 2010 में बीजेपी के अर्जुन मुंडा की सरकार बनी, तो समर्थन के बदले हेमंत सोरेने को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन जनवरी 2013 में जेएमएम के समर्थन वापसी के चलते बीजेपी के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा की गठबंधन सरकार गिर गई थी.
हेमंत सोरेन ने 15 जुलाई, 2013 को पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वो 2014 तक इस पद पर रहे थे.
मुख्यमंत्री के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल में हेमंत ने शिक्षा और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसी नीतियों को लागू किया था. इसके अलावा सारंडा, पश्चिम सिंहभूम में माओवादी विद्रोह से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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