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PHOTOS: सरहुल की खूबसूरत तस्वीरों की बीच एक संदेश ने सबको चौंकाया, देखकर सन्न रह गए लोग!

रांची. सरहुल के दौरान राजधानी रांची में एक से बढ़कर एक तस्वीरें सामने आई. आदिवासी परंपरा के अनुसार जहां रंग-बिरंगे खूबसूरत परिधानों से सजे चेहरे नजर आए तो दूसरी तरफ शोभायात्रा के दौरान निकाली गई झांकियों में कई तरह के संदेश भी देखने को मिले. इनमें कुछ ऐसे संदेश भी थे जो आम लोगों को चौंकाने के साथ-साथ कई सवालों को भी खड़े करते नजर आए. (फोटो- संजय कुमार सिन्हा)

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शुक्रवार को राजधानी रांची की सड़कें सरहुल पर्व की अनूठी परंपरा और उसकी गाथा को सुनाती नजर आयीं. राजधानी के तमाम अखाड़ों से शोभायात्रा निकाली गई. इस शोभायात्रा में झांकियों के माध्यम से एक से बढ़कर एक संदेश लोगों का ध्यान खींचते नजर आए. इन्हीं संदेशों में एक ने राजधानी के लोगों को सकते में ला दिया. दरअसल, रांची के अरगोड़ा क्षेत्र के पीपर टोली से भी एक झांकी निकाली गई. इस झांकी में एक तरफ जहां सरना धर्म को बेहद संजीदगी से दर्शाया गया था तो दूसरी तरफ हिंदू धर्म से उसकी तुलना कर यह साबित करने की कोशिश की गई कि आखिर सरना धर्म किस तरह हिंदू धर्म से अलग है.

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रांची के पीपर टोली से एक ट्रैक्टर पर झांकी निकाली गई थी. इस झांकी के सबसे ऊपर यह लिखा था कि "सरना आदिवासी हिंदू नहीं है". इसके अलावा हिंदू धर्म के अन्य रीति-रिवाजों को सरना धर्म से अलग बताने की कोशिश की गई. मसलन संदेश में यही लिखा था कि " सरना धर्म प्रकृति के नियमों से चलता है जबकि हिंदू धर्म वेद पुराण के नियमों से चलता है".

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सिर्फ इतना ही नहीं झांकी के सबसे आगे हिंदू धर्म और सरना धर्म की अंत्येष्टि विधान का भी जिक्र किया गया था. वहां दिखा था कि "सरना आदिवासी अपने सभी पूर्वजों की अस्थियों को एक साथ संजोकर रखते हैं, जबकि हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों की अस्थियों को नदियों में विसर्जित किया जाता है".

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इसके अलावा झांकी के पीछे तरफ हिंदू धर्म और सरना धर्म के अनुसार वैवाहिक संस्कारों को भी मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया था. वहां लिखा था कि "सरना धर्म में प्रकृति को साक्षी मानकर शादी की जाती है तो दूसरी तरफ हिंदुओं के संस्कार इससे अलग हैं"

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पीपर टोली सरना समिति के अध्यक्ष राजू तिग्गा ने बताया कि सरना धर्म हिंदू धर्म से अलग है. क्योंकि उनके संस्कार प्रकृति के बताए नियमों से चलते हैं. जब उनसे पूछा गया कि सरहुल पर इस तरह के संदेश का क्या मतलब है तो उनका जवाब था कि आज के दिन समाज के लोग झुंड और समूह में एक साथ निकलते हैं. ऐसे में सरना धर्म को करीब से जानना और समझना उनके लिए बेहद आसान होगा.

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    PHOTOS: सरहुल की खूबसूरत तस्वीरों की बीच एक संदेश ने सबको चौंकाया, देखकर सन्न रह गए लोग!

    शुक्रवार को राजधानी रांची की सड़कें सरहुल पर्व की अनूठी परंपरा और उसकी गाथा को सुनाती नजर आयीं. राजधानी के तमाम अखाड़ों से शोभायात्रा निकाली गई. इस शोभायात्रा में झांकियों के माध्यम से एक से बढ़कर एक संदेश लोगों का ध्यान खींचते नजर आए. इन्हीं संदेशों में एक ने राजधानी के लोगों को सकते में ला दिया. दरअसल, रांची के अरगोड़ा क्षेत्र के पीपर टोली से भी एक झांकी निकाली गई. इस झांकी में एक तरफ जहां सरना धर्म को बेहद संजीदगी से दर्शाया गया था तो दूसरी तरफ हिंदू धर्म से उसकी तुलना कर यह साबित करने की कोशिश की गई कि आखिर सरना धर्म किस तरह हिंदू धर्म से अलग है.

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