दुनिया में कितने ही ऐसे फोटो खींचे गए हैं, जिन्होंने खूब चर्चा बटोरी. चाहें वो वियतनाम युद्ध के दौरान जान बचाकर भागते हुए बच्चों का फोटो हो या सूडान में कुपोषण और भूख से पीड़ित बच्चे के पीछे बैठे गिद्ध का फोटो. इसलिए कहा जाता है कि एक फोटो एक हजार शब्दों से ज्यादा ताकतवर होता है. पढ़िए आज्ञा का उल्लंघन (डेफ़िएंस) करते हुए उन 10 फोटो के बारे में जिन्होंने पूरी दुनिया में खूब चर्चा बटोरी.
लेशिया इवांस उन 100 लोगों में शामिल थीं, जो बैटन रूज में 37 वर्षीय एल्टॉन स्टेरलिंग की पुलिस फायरिंग में हुई मौत के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी. इस दौरान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वहां बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद थी. लेशिया उनके सामने पहुंच गई और विरोध दर्ज कराने लगी. प्रदर्शन करते हुए लेशिया का खींचा गया एक फोटो मिसाल बन गया और दुनिया में इसकी खासी चर्चा हुई.
नेशनल ज्योग्राफिक के फोटोग्राफर स्टीव मैककरी ने इस यादगार फोटो को खींचा था. जो 90 के दौर के सबसे चर्चित फोटो में शुमार था. ये फोटो जून 1985 में खींचा गया था, जो रेफ्यूज़ी अफगान लड़की का था. उस लड़की का नाम शर्बत गुला था.
साल 2010 में इस तस्वीर की पहचान ब्रिटिश बंदी होरेस ग्रीस्ले के तौर पर हुई. जो कैंप में हेनरिक हिमलर के निरिक्षण के दौरान उनके सामने आंख से आंख मिलाए खड़े थे. ग्रीस्ले एक और बात के लिए मशहूर थे. वो इस कैंप से करीब 200 बार, अपनी जर्मन गर्लफ्रेंड रोज़ा से मिलने के लिए फरार हुए थे. इतिहास और लेखक गाय वॉल्टर के मुताबिक ये फोटो बेलारूस के मिनस्क में खींचा गया था. दरअसल इसका विषय ग्रीस्ले नहीं बल्कि उनके द्वारा पहनी हुई टोपी है.
फ्रेंच फोटोग्राफर मार्क गरेंजर आर्मी के साथ एक छोटे से पहाड़ी गांव कबिलिया में थे. तब उन्होंने वहां मौजूद एक अल्जेरियन महिला की तस्वीर खींची. वो महिला अपना चेहरा सिर्फ पिता, भाई या पति को दिखा सकती थी. लेकिन इस फोटो के लिए उसने पहली बार अनजान शख्स को अपना चेहरा दिखाया. दोनों देश में युद्ध के बाद काफी साल तक फ्रांस ने अल्जीरिया पर राज किया. इस फोटो को प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया.
दुनिया में रंगभेद की कहानी नई नहीं है. 1954 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने श्वेत और अश्वेत बच्चों को साथ पढ़ाने का आदेश जारी किया. ये तस्वीर तब खींची गई थी, जब एक अश्वेत बच्ची रूबी ब्रिजेज़ स्कूल से पढ़कर निकल रही थी. रूबी की सुरक्षा के लिए गार्ड उनके साथ चल रहे थे क्योंकि स्कूल के बाहर प्रदर्शन जारी था.
साल 2016 में एंटी-ऑबर्शन लॉ को लेकर काफी प्रदर्शन हुआ. लंबे वक्त से महिलाएं ऑबर्शन को लेकर प्रदर्शन कर रही थीं. साल 2016 में पोलैंड सरकार ने ऑबर्शन पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया. इसके विरोध में पूरे देश में जोरदार प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शन के दौरान ही ये बुजुर्ग महिला की ये तस्वीर खींची गई. जो पूरी दुनिया में फेमस हुई.
शीत युद्ध के दौरान नॉर्थ कोरियाई सैनिकों ने अमेरिकी पोत USS प्यूब्लो को पकड़ लिया था. कोरिया का दावा था कि अमेरिका ने जल सीमा का उल्लंघन किया. जबकि अमेरिका ने इसको खारिज किया. नॉर्थ कोरिया ने प्रोपेगैंडा के तहत जब बंदी अमेरिकी सैनिकों का फोटोशूट किया तो ये ऐतिहासिक तस्वीर खींची हई. इसमें अपने इशारे से अमेरिकी सैनिक ने अपना विरोध दर्ज कराया.
न्यूयॉर्क में फ्रांसिस गोल्डिन ने अपने 30 साल की उम्र के दौर में गे प्राइड परेड में हिस्सा लिया था. उन्होंने खुलकर लेस्बियन संबंधों का समर्थन किया था. 93 साल की उम्र में दोबारा फ्रांसिस ने 2016 में दोबारा गे प्राइड रैली में हिस्सा लिया, उसी जज्बे और जोश के साथ. उनके दोनों ही फोटो दुनिया में काफी चर्चित हुए.
इस फोटो को फोटोग्राफर हैंस रूनेसन ने साल 1985 में खींचा था. इस फोटो में डैनुटा डेनिएलसन नॉर्डिक रीच पार्टी की रैली में एक नियो-नाज़ी पर अपने बैग से हमला कर रही है. क्योंकि डैनुटा की मां नाजियों के कॉन्सेंट्रेशन कैंप का शिकार हुईं थीं.
8 अप्रैल 2017 को इंग्लिश डिफेंस लीग ने बर्मिंघम में एक प्रदर्शन रखा था. इस दौरान प्रेस एसोसिएशन के जोए गिडेंस ने इस फोटो को लिया. इसमें एक लड़की प्रदर्शनकारी से आंख में आंख मिलाकर देख रही है. उसके चेहरे की भाव भंगिमाएं काफी प्रभावित करने वाली थी. इस फोटो को लेकर दुनिया में काफी चर्चा हुई.
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