ये भीड़ हज के बाद दुनिया के दूसरे बड़े जमावड़े में जा रही है. आप हैरान हो सकते हैं कि ये नजारा कहां का है. ट्रेन अंदर तो पूरी तरह भरी है. जिसे जगह नहीं मिल पाई वो ट्रेन के डिब्बों के ऊपर चढ़ गया. यहां तक कि भारी भीड़ ने ट्रेन के इंजन को भी नहीं बख्शा. दरअसल बांग्लादेश में ढाका के बाहरी इलाके में एक सालाना मुस्लिम धार्मिक जमावड़ा लगता है. इसे विश्व इज्तेमा के नाम से जाना जाता है. इज्तेमा का मतलब होता है जमावड़ा. इसमें दुनियाभर के लोग आते हैं. ये अकेली ट्रेन नहीं है, जो इस तरह भीड़ लदी-फदी ढाका के उपनगर तोंगी जा रही है.
ये सालाना धार्मिक जमावड़ा इस बार ढाका के करीब तोंगी में 10 से 12 जनवरी तक हुआ. लिहाजा ढाका की ओर जाने वाली तकरीबन हर ट्रेन का यही हाल रहा. कहा जाता है कि इस जमावड़े में जो भी जाता है, वो उसी तरह पुण्य की प्राप्ति करता है, जिस तरह हज की यात्रा से होता है. हालांकि इसे हज के बराबर पवित्र दर्जा तो नहीं दिया जाता लेकिन इसकी शोहरत भी दुनियाभर में कम नहीं है.
ये जमावड़ा तीन दिनों का होता है. तीनों दिन नमाज अता होती है. प्रार्थनाएं होती हैं. दुनियाभर से आए इस्लामिक धर्म गुरु और विद्वान लोगों को कुरान से जुड़ी बातों पर व्याख्यान देते हैं. इस बार यहां करीब 50 लाख की भीड़ आई. जिसमें 50 हजार विदेश से आए लोग थे. ये नजारा सालाना इज्तेमा खत्म होने के बाद वापसी का है. बांग्लादेश में इसका आयोजन पहली बार 1958 में हुआ लेकिन अब ये काफी प्रसिद्ध हो चुका है. आमतौर पर हज से लौटने वाले मुस्लिम इसमें जरूर आते हैं. जिसमें दुनियाभर के करीब डेढ़ सौ देशों के लोग आते हैं.
इसका आयोजन पाकिस्तान की धार्मिक संस्था तब्लीगी जमात करती है. हालांकि बांग्लादेश सरकार इसमें पूरी मदद करती है. बांग्लादेश रेलवे, रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन और एयरलाइंस भी सहयोग करती हैं. सुरक्षा का जिम्मा बांग्लादेश की सेना के हवाले होता है. इतने बड़े जमावड़े के बाद भी आमतौर पर कोई बड़ा हादसा नहीं होता.
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