भारतीय उपमहाद्वीप दुनिया में चक्रवातीय तूफानों से सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाले इलाकों में से है. बंगाल की खाड़ी में हमेशा से खतरनाक साइक्लोन आते रहे हैं. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
इस इलाके में आधुनिक युग में आए सबसे खतरनाक तूफानों में द ग्रेट भोला का नाम लिया जाता है. यह तूफान 1970 में आया था और इसके चलते बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में करीब 3 लाख लोगों की जानें गई थीं. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
11 नवंबर, 1970 को द ग्रेट भोला साइक्लोन, बांग्लादेश में आया था. हालांकि उस दौरान बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. द ग्रेट भोला के चलते पूर्वी पाकिस्तान में जबरदस्त बाढ़ आ गई थी. इसके अलावा उस दौरान बांग्लादेश से लगे समुद्र में 35 फीट ऊंची लहरें उठी थीं, जिन्होंने बांग्लादेश के बड़े भू-भाग को अपना निशाना बनाया था. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
उस वक्त बांग्लादेश में स्वतंत्रता की लड़ाई चल रही थी. ऐसे में पाकिस्तान के मौसम विभाग की इस तूफान को लेकर दी गई चेतावनी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था. बाद में एक जांच में सामने आया कि इसके बावजूद न ही तटीय इलाकों को खाली कराया गया था और न ही नागरिकों के बचने के लिए कोई खास इंतजाम किए गए थे. इन्हीं लापरवाहियों के चलते तूफान के भयानक प्रभाव को रोका नहीं जा सका और 3 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ीं. कहा जाता है कि इस तूफान के चलते पूर्वी पाकिस्तान में 3 से 5 लाख लोगों की जानें गई थीं. इसे उष्णकटिबंधीय तूफानों में अब तक का ज्ञात सबसे खतरनाक तूफान माना जाता है. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
रोड्स आईलैंड यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक द ग्रेट भोला तूफान की त्रासदी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के ताजुमुद्दीन शहर की 45% आबादी इससे आई बाढ़ में बह गई थी. केवल इस शहर में 1,67,000 लोगों की जानें गई थीं. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
वैसे बांग्लादेश, बंगाल की खाड़ी का अकेला देश नहीं है जिसने मौसम की ऐसी त्रासदी को झेला हो, भारत में भी ऐसे कई साइक्लोन आ चुके हैं, जिसमें हजारों लोगों की जानें गई हैं. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
भारत में सबसे खतरनाक तूफान 1999 में, ओडिशा में आया था. भारत के इस पूर्वी राज्य को इन तूफानों के चलते देश की त्रासदियों की राजधानी भी कहा जाता है. 29 अक्टूबर, 1999 को आए इस तूफान में करीब 250 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं बही थीं. इतने तेज तूफान को चौथी कैटेगरी का तूफान कहते हैं लेकिन आते-आते यह तूफान कैटेगरी 5 में पहुंच गया था क्योंकि इसकी रफ्तार 260 किमी प्रति घंटा के आस-पास तक पहुंच गई थी. इसने बंगाल की खाड़ी में 26 फीट ऊंची लहरें उठाई थीं. इसके चलते भारत के ज्यादातर हिस्से का मौसम प्रभावित रहा था. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
1999 में ओडिशा में आए इस तूफान में 9,658 लोग मारे गए थे और 17,305 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. यह भारत में पिछले 100 सालों में आए सबसे खतरनाक तूफानों में से एक था. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
एक खतरनाक तूफान बांग्लादेश के दक्षिण में म्यांमार के दक्षिणी डेल्टा क्षेत्र में 2008 में भी आया था. नरगिस नाम के इस तूफान ने बहुत ऊंची-ऊंची लहरें उठाई थीं, जिससे आई बाढ़ में इस इलाके के 1,30,000 लोग मारे गए थे. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
इन तूफानों के आगे अमेरिकी हरिकेन से हुई तबाही बहुत कम है. अमेरिका का सबसे खतरनाक तूफान ग्लेवेस्टन हरीकेन को माना जाता है. इसमें करीब 8,000 लोगों की जानें गई थीं. अमेरिका में आधुनिक युग में आए सबसे खतरनाक तूफानों में तीसरे नंबर पर रहने वाले कैटरीना ने 1,200 जानें ली थीं. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
दरअसल बांग्लादेश, म्यांमार और भारत के बीच का बंगाल की खाड़ी का इलाका चक्रवातों की चपेट में आने के लिए उपयुक्त जगह है. साथ ही इसके आस-पास के इलाकों में बहुत ज्यादा जनसंख्या है, जिसके चलते यहां बाकी जगहों से ज्यादा तबाही होती है. साथ ही यहां रहने वाले शिक्षा आदि के अभाव के कारण मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान नहीं देते और उन्हें अपने घरों से निकालकर सुरक्षित जगह भेजना भी आसान नहीं होता. ऐसे में यहां दूसरी जगहों के मुकाबले ज्यादा जान-माल का नुकसान होने की आशंका रहती है. साथ ही इस इलाके में भू-भाग के छिछले होने से ऐसी हालत में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता है. (सभी तस्वीरें सांकेतिक)
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