पृथ्वी (Earth) पर जीवन के पनपने के पहले यहां सबकुछ पानी (Water) से ढका था. इस खोज से शोदकर्ताओं को जीवन की उत्पत्ति (Origin of life) जैसे कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं.
पृथ्वी (Earth) पर जीवन (Life) कैसे आया इस पर तो बहुत शोध हो रहे हैं और हो चुके हैं. हाल ही में एक अध्ययन में यहा जानने के प्रयास किया गया कि पृथ्वी पर जीवन आने या पनपने से पहले (Earth before life) हालात कैसे थे. भूगर्भीय शोधकर्ताओं ने इससे संबंधित प्रमाणों को जुटाकर पता लगाया है कि पृथ्वी उस समय बहुत ही अलग हुआ करती थी. यहां जीवन के पहले बहुत सारा पानी (Water) हुआ करता था, लेकिन वह काफी शांत रहता था.(प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
पृथ्वी (Earth) के मैंटल (Mantle) के लंबे समय तक हुए नए विश्लेषण के मुताबिक हमारी पूरी दुनिया एक विशाल महासागर (Oceans) से घिरी या ढकी थी. उस समय या तो बहुत ही कम जमीन थी या फिर खुली जमीन (Land) का एक भी टुकड़ा नहीं हुआ करता था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतना सारा पानी (Water) आखिर गया कहा. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक जूनजी डॉन्ग के नेतृत्व वाली शोधकर्ताओं की टीम के अनुसार पृथ्वी के मैंटल में मौजूद खनिजों ने धीरे धीरे पानी चूस कर पृथ्वी के महासागरों आज यह स्थिति बना दी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र में लिखा, “हमने पृथ्वी (Earth) के ठोस मैंटल (Mantle) में पानी के भंडारण (Water Storage) की क्षमाता को मैंटल के तापमान के फलन के तौर पर गणना की था. हमने पाया कि शुरुआती लेकिन गर्म मैंटल में पानी की मात्रा आज की तुलना में काफी कम रही होगी. इसलिए यह अतिरिक्त पानी पृथ्वी के शुरुआती समय में सतह पर रहा होगा जिससे सतह के महासागर में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा रही होगी. हमारे नतीजे सुझाते है कि लंबे समय से मानी जा रही यह धारणा की भूगर्भीय काल में सतह के सागरों में पानी की मात्रा एक सी ही रही होगी को पुनर्समीक्षा करने की जरूरत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
माना जाता रहा है कि जमीन के नीचे गहराई में बहुत सारा पानी हाइड्रऑक्सी समूह के पदार्थों के रूप में मौजद है जो हाइड्रोजन (Hydrogen) और ऑक्सीजन (Oxygen) परमाणुओं से बना है. पानी दो ज्वालामुखी खनिजों में जमा होता है- वाड्स्लेयाइट और रिंगुवुडाइट. डोन्ग और उनकी टीम ने सभी तरह के खनिजों के आंकड़े जमा करा और इन दोनों में पानी की भंडारण (Water Storage) क्षमता का सभी तापमान में मापन किया. पता चला कि इन दो खनिजों में उच्च तापमानों में कम भंडारण क्षमता है. और शुरुआत से अब तक पृथ्वी में आंतरिक रूप से गर्मी कम हो रही है. जिसका मतलब यह है कि पानी की भंडारण क्षमता पहले की तुलना में अब कहीं ज्यादा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं ने पाया की पुरातन समय और अब के समय की पानी भंडारण (Water Storage) क्षमता में बहुत ही ज्यादा अंतर है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पृथ्वी (Earth) के ठोस मैंटल की पानी भंडारण क्षमता उसके खनिजों की तापमान पर निर्भरता की वजह से काफी प्रभावित हुई. मैंटल की पानी भंडारण क्षमाता आज की सतही महासागरों के भार का 1.86 से 4.41 गुना ज्यादा है. यदि आज मैंटल में जमा पानी 2.5 से लेकर 4 अरब साल पुराने आर्कियॉन युग की भमता से ज्यादा होता तो आज दुनिया में बाढ़ होती और महाद्वीप दलदल बन चुके होते. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
एयूजी एडवांसेस में प्रकाशित इसअध्ययन के शोधकर्ताओं की यह पड़ताल एक पिछली पड़ताल के नतीजों से मेल खाती है, जिसने पिछले शुरुआती महासागरों (Oceans) में ऑक्सीजन के आइसोटोप की प्रचुरता के भूगर्भीय रिकॉर्ड के आधार पर पाया था कि 3.2 अरब साल पहले पृथ्वी (Earth) पर आज के मुकाबले कम जमीन थी. अगर ऐसा है तो हमें पृथ्वी के इतिहास (History) के कुछ अहम सवालों का जवाब मिल सकता है जैसे 3.5 अरब साल पहले जीवन पृथ्वी पर कहां शुरु हुआ था, वगैरह वगैरह. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इसके अलावा इस पड़ताल से हमें पृथ्वी (Earth) के बाहर जीवन तलाशने में भी मदद मिल सकती है. प्रमाण सुझाते हैं कि हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) में महासागरीय संसारों की कमी नहीं हैं. इसलिए गीले ग्रहों पर जीवन का मिलने की संभावना बलवती हो जाती है. इससे हमें अपने ही सौरमंडल (Solar system) के कुछ जगहों जैसे गुरू के उपग्रह यूरोपा और शनि के उपग्रह एकेलेडस के महासागरों में भी जीवन मिल सकता है. इससे खुद हमारे ग्रह पर जीवन के विकास को समझने में मदद मिल सकेगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
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