वैसे तो जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारक उत्सर्जन की वजह मानवीय गतिविधियां अधिक हैं. लेकिन प्राकृतिक उत्सर्जन भी होते हैं जो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में योगदान देते हैं. बेल्जियम में लीग यूनिवर्सिटी की अगुआई में हुए नए अध्ययन में पाया गया है कि एंडीज पर्वतमाला से निकलने नदी नाले ग्रीन हाउस गैसों के हॉटस्पॉट हैं जिनका अमेजन बेसिन से निकलने वाले उत्सर्जन का काफी बड़ा हिस्सा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
अध्ययन में पाया गया है अमेजन बेसिन, जहां दुनिया की सबसे बड़ी नदी है, में से निकलने वाले कार्बनडाइऑक्साइड और मीथेन के उत्सर्जनों में से 35 फीसद ओर 72 फीसद योगदान एंडीज पर्वतों से निकलने वाली नदियां और नालों का है. खुद अमेजन नदी तक एंडीज पर्वतों से निकलकर उसके खनिज कण आदि को पेरू, कोलंबिया, एक्वाडोर और ब्राजील से 3 हजार किलोमीटर का सफर तय करते हुए अटलांटिक महासागर में मिला देती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
जहां कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन उत्सर्जन के पिछले अध्ययन मध्य अमेजन पर हुए हैं जो एंडीज पर्वतों से एक हजार किलोमीटर दूर हैं, शोधकर्ताओं ने अब एंडीज और अमेजन का उद्गम के पास से ही निकली पहाड़ी नदियों की उत्सर्जन दरों की पड़ताल की है. अमेजन तीन नदियों के तंत्र का जाल है और हर एक का अलग अलग उत्सर्जन की दरें होती है. पहले तंत्र में छोटे और तेजी से बहने वाली पहाड़ी नाले खड़ी और पथरीले इलाकों से गुजरते हैं जिसमे वायुमंडल के साथ गैसों के तीव्र आदान प्रदान होता है जबकी खड़े पथरीले इलाके यहां मिट्टी को को जमा होने नहीं देते हैं जिससे CO2 और मीथेन का उत्पादन हो सके. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
वहीं दूसरे तंत्र में निचली भूमि की नदी होती है जो चौड़ी और हवादार होकर एक सपाट क्षेत्र में फैली होती है. यहां पानी धीमे बहने बावजदू कर वायुमडंल से गैसों का तेज आदान प्रदान करता है. यहां ज्यादा तापमान की वजह से मिट्टी फैल कर जमा हो जाती है जो CO2 और मीथेन का उत्पादन के अनुकूल होता है. यहां से बाढ़ के मैदान भी इन नदियों से जुड़े होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इसके बाद एक तीसरा तंत्र होता है जिसे पाइजमोंट नदियां कहा जाता है जो पहाड़ों के पास के मैदानों में होती हैं. नदी को यहां बहुत भारी मात्रा में पहाड़ों से कण मिलते हैं जो अस्थाई तौर पर जम जाते हैं और फिर से पानी में ऊपर आकर आगे महासागरों तक जाते रहते है. जब ये कण अवसाद की तरह जमते हैं फर्मेंटेशन की प्रक्रिया से वे मीथेन का उत्पादन करते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
निचली भूमि की नदी के आंकड़ों के आधार पर अमेजन बेसिन में होने वाले उत्सर्जन का आंकलन करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि नाले और नदियां जो पहाड़ों के पास और मैदानों पर होती हैं वे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के हॉटस्पॉट हैं और यही इलाके CO2 के उत्सर्जन का 35 फीसद और मीथेन उत्सर्जन का 72 फीसद हिस्सेदारी रखते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
निचली भूमि की नदी के आंकड़ों के आधार पर अमेजन बेसिन में होने वाले उत्सर्जन का आंकलन करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि नाले और नदियां जो पहाड़ों के पास और मैदानों पर होती हैं वे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के हॉटस्पॉट हैं और यही इलाके CO2 के उत्सर्जन का 35 फीसद और मीथेन उत्सर्जन का 72 फीसद हिस्सेदारी रखते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
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