ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का हमारे ग्रह (Earth) पर बहुत गहरा असर हो रहा है. तापमान में वृद्धि (Rise in Temperature) के कारण मौसम (Weather) के हालात इस तरह से बदल रहे हैं कि इससे प्राणियो (organisms) को अपना अस्तित्व बचाने के लिए नई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. गर्म होते ग्रह के अनुकूल ढलना समय के साथ मुमकिन हो सकता है, लेकिन कुछ पक्षियों (Birds) के लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के अनुसार केवल अपने जीवन चक्र में ही बदलाव करना कई तरह के खतरे पैदा कर रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी का यह अध्ययन PNAS में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन में पाया गया है कि जो पक्षी (Birds) वसंत (Spring) के मौसम की शुरुआत में प्रजनन (Breeding) करते थे उन्हें जलवायु परिवर्तन (Climate changes) संबंधी बदलाव के अच्छे नतीजे देखने को नहीं मिल रहे हैं. ऐसे पक्षियों को खराब मौसमी हालात, खाने में कमी और यहां तक उनकी खराब मृत्यु दर तक का सामाना करना पड़ रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
टीम ने न्यूयॉर्क के इथाचा में छोटे पेड़ों (Shallow trees) की जनसंख्या का अध्ययन किया जो एक तीस सालों के प्रयोग का विषय था. जिसमें यहां की जीवों का प्रजनन (Reproduction), कीटों की प्रचुरता (Insect abundance) और मौसमी हालातों (Weather conditions) का अध्ययन करना शामिल था. कॉर्नेल यूनिवर्सटी की प्रोफेसर मारेन वितोउसेक ने बताया कि इस तरह के लंबी अवधि वाले अध्ययन प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन (Climate change) के प्रभाव को जानने के लिए बहुत अहम होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इस शोध के प्रमुख लेखक मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रियान शिपले का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate change) के पहले के समय के बारे में जानना बिना जोखिम का काम नहीं है. हाल के अध्ययनों में इस बात की चिंता जताई गई है कि क्या प्रजातियां (Species) जलवायु परिवर्तन के अनुसार वाकई खुद को ढाल सकती भी हैं या नहीं. इनमें खास तौर पर समय के अनुसार विस्थापन (Migration) और प्रजनन (Reproduction) जैसे चक्र बहुत प्रभावित होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate change) के कारण अब मौसम बदलने से पहले प्रजनन (Rproduction) के प्रयास करना जानवरों के लिए ज्यादा जोखिम भरा है. उन्होंने पाया की छोटे पेड़ों के इलाकों में पिछले तीस सालों में प्रजनन तीन दिन प्रति दशक बढ़ गया है. लेकिन समय से पहले प्रजनन करना उसमें उनके भोजन की उपलब्धता (Food Availability) कम होने से भी प्रभावित हो रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
शोध ने पाया कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण पक्षियों (Birds) के प्रजनन की दर में बदलाव करने उनकी हालत पर गहरा असर हुआ है. लेकिन इससे यह भी पता चलता है की उड़ने वाले कीट पतंगों (insects) का खाने वाले पक्षियों की संख्या उत्तरी अमेरिका और यूरोप में क्यों कम हो रही है. वसंत (Spring) के मौसमी बदलाव के कारण साल के शुरुआत में अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं क्योंकि से उड़ने वाले कीड़ों की उपलब्धता पर असर होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
शिपले का कहना है की कीट पतंगों (Insects) को खाने वाली पक्षियों (Birds) के लिए के एक दिन दावत होती है तो एक दिन सूखा. लेकिन असामान्य रूप से गर्म वसंत (Warm spring) पक्षियों को हालात का आंकलन करने में गड़बड़ करवा देते हैं. उन्हें तीन सप्ताह पहले ही लगने लगता है हालात बदलकर अच्छे हो गए हैं और प्रजनन (Reproduction) का समय आ गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)