नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए. इनमें सबसे अहम कदम है इंटरनेट शटडाउन. यानी विरोध प्रदर्शन वाले इलाकों में इंटरनेट सेवा रोक देना. जब से नागरिकता संशोधन कानून बना है. देशभर के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं रोकी गई हैं.
विरोध प्रदर्शन के दौरान अक्सर कई गलत और भ्रामक खबरें फैल जाती हैं. सरकार का मानना है कि ऐसी खबरों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवा बंद करना जरूरी है. सबसे ज्यादा अफवाह वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया से फैलती है, जो लोगों को भड़काने का काम करती है. इसलिए ऐसी परिस्थिति में प्रभावित इलाके में इंटरनेट सेवाएं रोकना जरूरी होता है.
इंटरनेट सेवाएं रोकने से इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी से लेकर सरकार तक को आर्थिक नुकसान होता है. ये आर्थिक नुकसान कोई छोटा-मोटा नहीं होता. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट शटडाउन की वजह से इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनियों को हर घंटे करीब 2 करोड़ 45 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनियों को सरकार के निर्देश पर अपनी सेवाएं रोकनी पड़ती है.
पिछले दिनों दिल्ली समेत देश के कई इलाकों में इंटरनेट शटडाउन रहा है. असम में हिंसक विरोध प्रदर्शन पर 10 दिनों तक इंटरनेट शटडाउन रहा. दिल्ली में जब जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और उसके बाद विरोध के आग दूसरे इलाकों में फैली तो दिल्ली के कुछ इलाकों में भी इंटरनेट सेवाएं रोकी गईं. यूपी के 21 जिलों में इंटरनेट सेवाएं रोकी गई हैं.
एक आंकड़े के मुताबिक भारत के लोग सबसे ज्यादा इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल करते हैं. भारतीय हर महीने 9.8 गीगा बाईट इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल करते हैं. ये दुनिया के किसी भी हिस्से में इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट डाटा से अधिक है. देश में वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोग सबसे ज्यादा करते हैं.
एक आंकड़े के मुताबिक भारत में पिछले 5 वर्षों में तकरीबन 16 हजार घंटों तक के लिए इंटरनेट शटडाउन रहा है. इससे करीब 3.04 बिलियन डॉलर यानी करीब 21,584 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस आंकड़े को इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन ने जारी किया है.