फ्रेंच व्यापारियों ने बड़े स्तर पर सूरत में सन् 1668 में अपने व्यापारिक केंद्रों की स्थापना शुरू कर दी थी. इसके बाद वे गोलकुंडा रियासत के सुल्तान से मिले और सन् 1669 में मसुलीपट्टनम में अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित करने लगे.
इसके बाद सन् 1673 में व्यापारी फ्रेंडोईस मार्टिन, पॉन्डिचेरी आया. यहां उसने कंपनी का मुख्यालय बनाया. कुछ ही दिनों बाद फ्रांसीसियों ने बंगाल के नवाब शाइस्ता खां से जमीन किराए पर लेकर 1692 में चंद्रनगर में भी व्यापारिक कंपनियों की स्थापना कर दी.
जिस वक्त चंद्रनगर में फ्रांस ने अपने व्यापारिक केंद्र बनाए, तब तक उसने पश्चिम भारत, दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में कुछ मजबूत व्यापारिक केंद्र स्थापित कर लिए थे.
चंद्रनगर प. बंगाल के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक शहर है. जो कोलकाता से करीब 30किमी दूर स्थित है. यह शहर हुगली नदी के पश्चिम में स्थित है. अब यह कोलकाता का शहरी हिस्सा है.
यह शहर कोलकाता और बर्धमान के साथ सड़क और रेल नेटवर्क के साथ जुड़ा हुआ है. 1673 में इसे फ्रांसीसियों ने बसाया था. व्यापारिक केंद्र के तौर पर इसका विकास हुआ.
1757 में इस पर ब्रिटिश व्यापारियों ने अधिकार कर लिया लेकिन लंबे वक्त तक फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच चले युद्ध के बाद अंतत: 1815 में इस पर फिर से फ्रांसीसियों का कब्जा हो गया. जो 1950 तक वैसे ही बना रहा. इसके बाद फ्रांस की सरकार ने इस शहर को भारत को सौंप दिया.
चूंकि यह शहर लंबे वक्त तक फ्रांसीसी शासन का हिस्सा रहा और वहीं के व्यापारियों के संरक्षण में विकसित हुआ इसलिए इसकी चौड़ी सड़कें और बैठने की जगहें, यूरोप की याद दिलाती हैं.
इस शहर की वास्तुकला और स्थापत्य भी फ्रांसीसी ही है. यहां की प्रमुख इमारतों में सेंट लुईस चर्च और सेक्रेड हार्ट चर्च हैं. चंद्रनगर के संग्रहालय में आपको कई फ्रांसीसी वस्तुएं देखने को मिलेंगीं.
भारत की आजादी 1947 में मिली. उसके बाद भी यह शहर फ्रांस के नियंत्रण में ही रहा. 1950 तक इस शहर में पांडिचेरी में फ्रांस के गवर्नर जनरल का शासन चलता रहा.
जून, 1948 में इस शहर में जनमत संग्रह करवाया गया, जिसमें चंद्रनगर के 97% लोगों ने भारत के साथ जाना चुना. मई, 1950 में फ्रांस ने भारत सरकार को चंद्रनगर पर वास्तविक अधिकार दे दिया.
चंद्रनगर पर फ्रांस का कब्जा अधिकारिक तौर पर 2 फरवरी, 1951 को खत्म हो गया. कानूनी तौर पर शक्तियों का हस्तांतरण 9 जून, 1952 को हुआ.