जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का जानवरों (Animals) के जीवन पर अलग-अलग तरह के प्रभाव पड़े हैं. कुछ पक्षियों के पंखों का आकार बदल गया है तो कुछ अपने भोजन के तरीकों में बदलाव कर लिया है तो कुछ ने अपने लिए नए आवास खोजने शुरू कर दिए हैं. लेकिन नए अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभाव ही नहीं होते हैं. इसी की मिसाल के तहत शोधकर्ताओं ने पाया है कि ग्लोबल वार्मिंग ने जमीन पर रहने वाली गिलहरियों (Squirrels) के स्पर्म और पैरों में अप्रत्याशित तरह से बदलाव किए हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
कनाडा की मैनिटोबा यूनिवर्सिटी की अगुआई में हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि इस तरहके बदलाव दीर्घकाल में वन्यजीवों (Animals) और उनके पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystems) के स्वास्थ्य और उनकी मजबूती को भी प्रभावित कर सकती है. साल 2021 में वैज्ञानिकों ने खोजा कि कनाडा के प्रेयरी घास के मैदानों में पाई जाने वाली गिलहरी (Squirrels)की एक प्रजाति के कुछ नर गिलहरी हाइबरनेशन से निकले जिमें गैर गतिशील स्पर्म था. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
यह कोई ऐसा बदलाव नहीं है जो गिलहरियों (Squirrels) के लिए विनाशकारी हो. ना ही इससे पैदा होने वाली गिलहरियों की संख्या में कमी नहीं आई. इसी साल अभी के शोधकर्ताओं ने ही यह पड़ताल की कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का अफ्रीकी जमीन पर रहने वाले अफ्रीकी गिलहरियों पर कैसे प्रभाव पड़ा और उन्होंने पायाकि जैसे अधिकतम तापमान 2डिग्री ज्यादा होने पर उनके पैर का आकार कुछ बढ़ गया था जबकि उनका शरीर थोडा छोटा हो गया. इससे साबित हुआ कि ये जीव ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) के कारण आकार बदल रहे हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
हाल के अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया कि बड़ा पैर होने से गिलहरी (Squirrels) जल्दी ही खुद को ठंडा कर पाती हैं. उसी तरह बड़े शरीर वाले जानवरों (Animals) की तुलना में छोटे शरीर के कारण जानवर ज्यादा तेज गति से गर्मी (Heat) निकाल पाते हैं. इससे पता चलता है कि हाल के सालों में जमीन में रहने वाली गिलहरियां ज्यादा तापीय तनाव की प्रतिक्रिया में बदलाव ला रही हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसे प्रभाव के दूरगामी नतीजे होते हैं. अगर शरीर में बदलाव हो रहा है तो और क्या बदल रहा है. इसके लिए उन्होंने दबाव के प्रभाव, बर्ताव में बदलाव और हार्मोन जैसे आंतरिक बदलावों का अध्ययन किया क्योंकि गिलहरी (Squirrels) की कुछ प्रजातियां (Species) काफी सामाजिक (Social) होती हैं जिससे उनके बर्ताव पर असर पड़ने से उनके अस्तित्व और प्रजनन पर असर पड़ सकता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इन गिलहरियों (Squirrels) का पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystems) में प्रभावी और बड़ा योगदान होता है. वे अपने बिल के आसपास की वनस्पति में बदलाव करते हैं. इतना ही नहीं वे घास के मैदानों की जैवविविधता (Biodiversity) बढ़ाती हैं. उनका बर्ताव शीतोष्ण घास के मैदान में अवांछनीय नतीजे हो सकते हैं. जबकि वे पहले से ही पृथ्वी के सबसे विलुप्तप्राय पारिस्थितिकी तंत्र हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
जर्नल ऑफ मैमोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका अध्ययन और दूसरे शोध भी दर्शाता है कि प्रकृति कुछ मामलो में तेजी से बदलते पर्यावरण (Environment) पर तेजी से प्रतिक्रिया भी करती है. इंसान (Humans) को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के इस तरह के प्रभावों को भी समझने की जरूरत है. यहां तक के छोटे बदलावों को भी गंभीरता से समझना होगा जिससे हम सही कदम उठा सकें. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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