जलवायु परिवर्तन (Climate change) दुनिया में बहुत से बदलाव रहा है. अभी तक वैज्ञानिकों को ध्यान उन बड़े बदलावों की ओर ज्यादा रहा है जिससे मानवजाति (Humans) को नुकसान और खतरा हो. अब इसका असर पेड़ों पर भी होने लगा है. नए अध्ययन में खुलासा किया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पेड़ों की पत्तियां (leaves of Trees) समय से पहले झड़ने लगी हैं या वे उस उम्र की स्थिति (senescence) में पहुंच रहे हैं जहां उनकी पत्तियां ज्यादा झड़ती हैं. इसका संबंध पेड़ों की उम्र से ज्यादा उनके हर साल मौसम के हिसाब से होने वाली गतिविधियों से हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
यह नई पड़ताल उस धारणा से बिलकुल उलट है जो यह बताती है कि जैसे जैसे हमारा ग्रह (Earth) गर्म (Hot) होता जा रहा है, पौधों (Plants) के बढ़ने का मौसम ज्यादा लंबे समय तक चलेगा और पतझड़ (Autumn) का मौसम देर से आएगा. पर्णपाती पेड़ (Deciduous trees) यानि वे पेड़ जिनके एक मौसम में पूरी पत्ते झड़ जाते हैं और वे कुछ समय के लिए ठूंठ हो जाते हैं. वे एक खास सेनेसेंस (senescence) की प्रक्रिया से गुजरते हैं जब पत्तियां पीली, नारंगी या लाल होने लगती हैं जिससे उनकी फोटोसिंथेसिस द्वारा कार्बन डाइ ऑक्साइड अवशोषित करने और पोषक तत्वों को निकलाने की क्षमता खत्म हो जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
शोध में पाया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की वजह से यूरोपीय पेड़ों में वसंत (Spring) के समय में आने वाली पत्तियां दो महीने पहले ही आ रही हैं जबकि सौ साल पहले ऐसा नहीं होता था. अब तक कि धारणाएं बताती हैं के पत्तियों (Leave) के निकलने का लंबा मौसम होने का मतलब यह हुआ करता था कि आने वाले सालों में पतझड़ (Autumn) का मौसम देर आएगा और ज्यादा गर्म होगा. लेकिन साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन इस मत के बिलकुल विपरीत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इकोसिस्टम इकोलॉजीस्ट कॉन्स्टेनटिन जोहनर और उसकी टीम ने यह भी अनुमान लगाया है कि इस सदी के अंत में तीन से छह दिन पहले से ही पत्तियां (leaves) झड़ने (Shedding) लगेंगी. उन्होंने अपनी गणना की तुलना इंसान (Humans) के जैविक चक्र से की जहां जब वे जल्दी खाना खाते हैं तो उनका पेट भी जल्दी भरता है. जोहनर का कहना है कि ऐसा इसलिए है कि पेड़ों में कुछ सीमाएं हैं. हम उनसे ज्यादा से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) अवशोषित करने की उम्मीद सिर्फ इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि हम ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड बना रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इस शोध के लिए टीम ने एक फील्ड ऑबजर्वेशन, लैबोरेटरी टेस्ट और मॉडिलिंग का मिलाजुला उपयोग किया था. उन्होंने छह यूरोपीय (European) पर्णपाती पेड़ों (Deciduous Trees) की प्रजातियों, हॉर्स चेस्टनट, सिल्वर ब्रिच, यूरोपियन बीच, यूरोपियन लार्च, इंग्लिश ओक और होवैन, के आंकड़े का अध्ययन किया. इन पेड़ो की छह दशकों के आंकड़ों को शोध में शामिल किया गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
वसंत (Spring) और गर्मियों (Summer) में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), तापमान और रोशनी के बढ़ने की वजह से वास्तव में पेड़ों से पत्तियां (Leves) ज्यादा और समय से पहले झड़ती (shedding हैं. जोहनर के मुताबिक पहले माना जाता था कि सर्दियों के तापमान और दिन की लंबाई के कारण पड़ों से पत्तियां गिरती थी.अब शोधकर्ताओं ने एक तीसरे कारक का पता लगा लिया है. जो उत्पादकता में कमी लाता है. यदि पौधे गर्मी और वसंत में ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं तो वे अपनी पत्तियां भी पहले झड़ा देंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
यूरोप (Europe) में मौसम का क्रम वसंत (Spring), गर्मी (Summer), पतझड़ (Autumn) और सर्दियों (Winter) का होता है. वहीं भारत में यह क्रम सर्दी , वसंत, गर्मी और मानसून (Monsoon) का होता है. यहां पतझड़ मौसम वसंत और गर्मी के बीच में होता है. इसे बहुत से लोग ऐसे समझते है कि यूरोप (Europe) में मानसून की जगह पतझड़ का मौसम होता है, लेकिन समय के लिहाज से सटीक नहीं हैं. बहराल यह शोध यूरोपीय स्थितियों के लिये हुआ था. लेकिन जलवायु परिवर्तन का प्रभाव विश्वव्यापी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
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