ताजमहल का असली डिजाइनर कौन था. कई नामों की चर्चा अलग अलग दस्तावेजों के जरिए होती रही है. यूनेस्को ने तमाम रिसर्च के बाद जिस शख्स का नाम इसके मुख्य वास्तुकार के बारे में लिखा है, वह लाहौर में पैदा हुआ था. उसका परिवार फिर वहां से आगरा आ गया.
ताजमहल को दुनिया के सबसे बड़े अजूबों वाली इमारत के तौर पर शामिल किया जाता है. इसका वास्तु का हर हिस्सा परफेक्ट माना जाता है, जहां सबकुछ बहुत सोचविचार कर और वास्तुकला के हिसाब से संतुलित तौर पर बनाया गया है. ये इमारत इतनी खूबसूरत और इसकी फिनिशिंग इतनी मुकम्मल है कि हमेशा ये भी पूछा जाता है कि आखिर ताजमहल का मुख्य डिजाइनर कौन था. किसने इसकी कल्पना की और इसे हकीकत में बदला.
यूनेस्को का कहना है कि उस्ताद अहमद लाहौरी ताजमहल के मुख्य वास्तुकार थे. वह लाहौर में पैदा हुए थे. अपने जमाने के जाने माने वास्तुकार थे. मुगल बादशाह शाहजहां उन्हें बहुत पसंद करता था. उन्हें उनकी क्षमताओं पर पूरा भरोसा था, क्योंकि उन्होंने शाहजहां के कई स्थापत्य पर काम करके उसका दिल जीत लिया था. जब शाहजहां ने मुमताज की याद में रुहानियत से भरी एक यादगार इमारत की कल्पना की तो उस्ताद अहमद ला...
ये माना जाता है कि ताजमहल की वास्तुकला में डिजाइनर ने फारसी वास्तु शैली, तुर्की, भारतीय और इस्लामी शैलियों को एकसाथ मिलाकर नायाब डिजाइन निकाली. उस्ताद अहमद लाहौरी का जन्म 1580 ई में हुआ और मृत्यु- 1649 ई.में. उसके वंशज लुत्फुल्लह मुहांदी ने लिखित दावा किया कि उस्ताद लाहौरी ही ताजमहल के मुख्य वास्तुकार थे. इससे पहले अंग्रेजों ने ये बातें की थीं कि इसका वास्तुकार भारत नहीं बल्कि तुर्की य...
शाहजहां अपने वास्तुकारों से नियमित बैठक रखता था. उसके वृत्तांतकार लिखते हैं कि- " शाहजहां ने हमेशा ही प्रतिभावान वास्तुकारों द्वारा बनाई गईं इमारतों के रूपांकनों में कई उचित परिवर्तन कराए और बुद्धिमानी भरी राय दी. ताजमहल यमुना के दाएं किनारे पर बड़े मुगल गार्डन के बीच बना है. ये 17 हेक्टेयर में फैला है. ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और ये 1648 में बनकर तैयार हो गया. उस समय इसके सा...
मुगलकाल के कई दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमजात महल की याद में बनवाए गए इस अजूबे के निर्माण के लिए के कुल 37 आर्किटेक्ट लगाए थे. एक बड़ी विशेषज्ञों की टीम इसे बना रही थी. उनका प्रमुख उस्ताद अहमद लाहौरी था, जो उस समय शाहजहां का सबसे पसंदीदा वास्तुकार था और ताजमहल को बनाने में मुख्य वास्तुकार की भूमिका निभा रहा था.
हालांकि कई दस्तावेजों ये कहते हैं कि बादशाह शाहजहां ने मीर अब्दुल करीम और मुकम्मत खां को ताजमहल का काम सौंपा था. जबकि इनके ऊपर छोटे-छोटे डिजाइनों को अंतिम रूप देने के लिए उस्ताद अहमद लाहौरी को चुना था. लेकिन अब तमाम शोध के बाद ये माना जाने लगा है कि उस्ताद लाहौर इसके मुख्य वास्तुकार थे.
उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही दिल्ली के लाल किले की नींव रखी थी. लाहौरी को पंजाबी मुस्लिम कहा जाता था. हालांकि बाद में उनका परिवार लाहौर से दिल्ली आ गया था. उन्होंने अपने नाम के साथ हमेशा लाहौरी का इस्तेमाल किया.
लाहौरी का बेटा लुत्फुल्लह मुहांदी ने लिखा है कि शाहजहां के जमाने में दो मुख्य वास्तुकार थे - उस्ताद अहमद लाहौरी और मीर अब्दुल करीम. लेकिन करीम उम्र में ज्यादा बडे़ थे और शाहजहां के पिता जहांगीर के पसंदीदा वास्तुकार थे. लाहौरी के तीन बेटे थे. तीनों बाद में वास्तुविद भी बने, साथ में गणित में भी उनका खासा दखल रहा. (wiki commons)
शाहजहां के दरबारी इतिहासकार और ताजमहल के निर्माण में प्रधान भूमिका अदा करने वाले उस्ताद अहमद लाहौरी लिखते हैं, "बादशाह शाहजहां ने खुद ही एक-एक डिजाइन की बानगी चेक की, उनमें अंतर सुझाए और ताजमहल के एक बड़े हिस्से का डिजाइन खुद बनाया है."
ताजमहल बनाने वाले मिस्त्रियों के हाथ कटवाने को लेकर कई बातें होती हैं. लेकिन मुगलकाल के किसी दस्तावेज में इसका जिक्र नहीं मिलता. एक डॉक्यूमेंट के अनुसार, ताजमहल बनाने में लगे मजदूरों के लिए मुमताजबाद नाम की जगह बसा दी गई थी. यहां करीबन 5 से 20 हजार लोगों के रहने के साक्ष्य पाए जाते हैं.
ताजमहल के कुछ हिस्सों में फारसी नक्काश अमानत खां का नाम लिखा हुआ है. इनमें अमानत खां के साथ दो सालों का जिक्र है- 1635 और 1638. बताया जाता है कि नक्कशी तय होने के बाद इन्हें नक्काशियों को हूबहू जीवित कर देने का काम दिया गया है. जानकारी के अनुसार ताजमहल बनकर खड़े हो जाने के बाद शाहजहां ने चीन, रूस, मिस्र, श्रीलंका और तिब्बत से जवाहरात मंगाए. साल 1643 में ताजमहल बन खड़ा होने के बाद शाहजहा...