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वो 5 यादगार भारतीय नेता, रहस्य बनकर रह गई जिनकी मौत..!

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के निधन के बाद पीएम बने लालबहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि (Lal Bahadur Shastri Death Anniversary) पर जानिए देश के चुनिंदा नेताओं की मौत से जुड़े किस्से, जो इस तरह उलझे रहे कि तय नहीं किया जा सका कि आखिर मौत के पीछे का सच क्या था.

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भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध हो चुका था. इस युद्ध को कायदे से खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते को दोनों देश अंजाम देने वाले थे. यह समझौता रूस के ताशकंद में होना था, जिसके लिए तत्कालीन पीएम लालबहादुर शास्त्री वहां थे. समझौते के अगले दिन 11 जनवरी 1966 को शास्त्री की मौत हो गई. दावा किया गया कि दिल के दौरे से मौत हुई लेकिन शास्त्री के परिवार ने आरोप लगाए कि ज़हर दिया गया था. पोस्टमॉर्टम और मौत के कारणों के बारे में जांच संबंधी रिकॉर्ड न होने का दावा भारत सरकार ने कई बार किया.

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नेहरू कैबिनेट में मंत्री और जन संघ के संस्थापक रहे श्यामाप्रसाद मुखर्जी 1951 में जम्मू कश्मीर को​ विशेष दर्जा दिए जाने के बाद विरोध में मुखर्जी हड़ताल करने मई 1953 में वहां गए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने मुखर्जी को गिरफ्तार करवाया था और एक खंडहर जैसी जगह पर कैद किया. 23 मई को मुखर्जी को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें वो दवाएं दी गईं, जिनसे उन्हें एलर्जी थी. आरोप लगे कि डॉक्टर एलर्जी के बारे में जानते थे. अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे 'नेहरू रणनीति' कहा था, लेकिन पूरा सच कभी सामने नहीं आया.

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इंदिरा गांधी के छोटे बेटे और हवाई जहाज़ उड़ाने के शौकीन इमरजेंसी और उससे पहले के समय में देश की राजनीति में तेज़ी से उभरे थे. 23 जून 1980 को दिल्ली में सिर्फ 33 साल की उम्र में विमान क्रैश में उनकी मौत हुई. चश्मदीदों ने कहा कि हवाई करतब करते हुए विमान क्रैश हुआ. लेकिन इसमें हत्या के प्लॉट की थ्योरीज़ भी उभरीं क्योंकि बड़े हादसे के बावजूद विमान में न तो आग लगी, न कोई विस्फोट हुआ. ऐसे कई सवाल थे, जिनका जवाब कभी नहीं मिला.

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बिहार के समस्तीपुर में 3 जनवरी 1975 को एक बम धमाके में माए गए ललि​त नारायण मिश्रा की मौत के मामले में इंदिरा गांधी के साथ ही सीआईए और केजीबी जैसे अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के नाम चर्चा में रहे. इंदिरा सरकार में रेल मेंत्री रहे मिश्रा की मौत के मामले में 39 साल बाद 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने आनंद मार्ग नामक संगठन के चार आरोपियों को हत्या का दोषी करार देकर उम्रकैद की सज़ा दी थी. लेकिन बाद में हाई कोर्ट ने इन सबूतों के अभाव में इस फैसले को अमान्य कर दिया. और यह मौत रहस्य बनकर रह गई.

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न जाने कितने ही जांच आयोगों की रिपोर्ट्स के बावजूद अमर क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत के रहस्य से पर्दा नहीं उठा. किसी रिपोर्ट ने कहा कि ताईपेई में विमान क्रैश में उनकी मौत हुई तो किसी ने कहा कि साइबेरिया में सोवियत सेना ने उन्हें धर दबोचा था. यह थ्योरी भी चर्चित रही कि जो प्लेन क्रैश बताया गया, उसमें नेताजी मौजूद ही नहीं थे. जापान में जांच के लिए 1956 में शाहनवाज़ कमेटी बनी. बताया गया कि जापान के रेंकोजी मठों में नेताजी के अवशेष थे लेकिन देश में अशांति फैल जाने के डर से इन्हें भारत नहीं लाया गया था.

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इनके अलावा गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पंड्या की लाश कार में मिली थी. सीबीआई जांच को कोर्ट ने बकवास बताया तो पंड्या की पत्नी ने इसे 'राजनीतिक हत्या' कहा था. गोपीनाथ मुंडे की मौत सड़क हादसे में हुई लेकिन कारणों को लेकर हमेशा कन्फ्यूज़न रहा. वहीं, दो बार अरुणाचल प्रदेश के सीएम रहे दोरजी खांडू की मौत से जुड़े कई किस्से सामने आए. क्रैश हुए उनके हेलीकॉप्टर पवन ​हंस पर सवाल उठे थे, तो पांच दिन गायब रहने के बाद क्रैश का पता चलना और चीन बॉर्डर के पास तक हेलीकॉप्टर का जाना रहस्य गहराता ही चला गया.

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    वो 5 यादगार भारतीय नेता, रहस्य बनकर रह गई जिनकी मौत..!

    भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध हो चुका था. इस युद्ध को कायदे से खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते को दोनों देश अंजाम देने वाले थे. यह समझौता रूस के ताशकंद में होना था, जिसके लिए तत्कालीन पीएम लालबहादुर शास्त्री वहां थे. समझौते के अगले दिन 11 जनवरी 1966 को शास्त्री की मौत हो गई. दावा किया गया कि दिल के दौरे से मौत हुई लेकिन शास्त्री के परिवार ने आरोप लगाए कि ज़हर दिया गया था. पोस्टमॉर्टम और मौत के कारणों के बारे में जांच संबंधी रिकॉर्ड न होने का दावा भारत सरकार ने कई बार किया.

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