शार्क (Shark) का नाम सुनते ही खूंखार खून की प्यासी मछलियां (Fishes) जहन में आती हैं. इनमें सबसे बड़ी मछलियां मेगालोडोन (Megalodon) काफी रहस्यमयी हैं. ये 1.5 करोड़ से 36 लाख साल पहले तक पृथ्वी (Earth) पर पाई जाती थीं. वैसे तो इनके कुछ जीवाश्मों (Fossils) से वैज्ञानिकों को कुछ जानकारी मिली है. लेकिन ताजा खोजबीन में ऐसे संकेत पाए गए हैं जिनसे पता चलता है कि इन विशाल जानवरों के गर्भ (Womb) में पल रहे बच्चे अपने ही सहोदर (Siblings) को खा जाते थे. . (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
यह हैरानी की बात है कि जब मगालोडोन (Megalodon) के जीवाश्म (Fossil) बहुत ही नाजुक होते हैं जिनका अधिकांश हिस्सा बचा नहीं रह पाता है तो ऐसे में शोधकर्ता इतनी गहरी जानकारी कैसे निकाल सके. इन शिकारी शार्क (Predator Shark) की लंबाई कम से कम 14 मीटर लंबी होती है. इनके बारे में ज्यादातर जानकारी उनके 17 सेमी लंबे दातों (Teeth) से मिली है जो जीवाश्म में बचे रह सके हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
मैगालोडोन (Megalodon) की हड्डियों का ढांचा (Skeleton) नाजुक कार्टिलेजिनस होता है जिसकी वजह से उनके शरीर के कुछ हिस्से ही जीवाश्म (Fossils) में बचे रह पाते हैं जिसमं दांत सिर, और रीढ़ शामिल है. इनके दातों (Teeth) ने शोधकर्ताओं का काफी ध्यान खींचा है, लेकिन ताजा शोध में डीपॉल यूनिवर्सीटी के केनशू शिमादा और उनकी साथियों ने दातों के बजाए रीढ़ (Spine) पर ध्यान दिया जिससे उन्हें पता चला कि मेगोलोडोन दो मीटर लंबे शिशुओं को जन्म दिए करती थीं. जब उन्होंने यह जानने का प्रयास किया कि ये शिशु गर्भ में एक इंसान से भी बड़े हो जाते थे उन्हें पता चला कि वे अपने ही सहोदरों को गर्भ में ही खा लिया करते थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
शार्क (Shark )इंसानों की ही तरह रीढ़धारी (vertebrate) जानवर होती हैं जिनकी रीढ़ के बहुत से हिस्से होते है जो उम्र के साथ बढ़ते हैं. शोधकर्ताओं ने मियोसीन युग यानि 2.3 करोड़ साल पहले की मेगालोडोन (Megalodon)की जीवाश्म की रीढ़ को नापा. इनकी आधुनिक शार्क से तुलना करने पर उन्होंने पाया कि जिस शार्क की वह रीढ़ (Spine) थी जब वह जिंदा थी तब 9 मीटर लंबी थी. शार्क की रीढ़ में ठोस ऊतक की परत जमा होती जाती थी जैसे पेड़ के तनों में छल्ले बनते जाते हैं. इससे उनकी उम्र के बारे में अंदाजा लगाया जा सका. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
मोगालोडोन (Megalodon) की रीढ़ (Spines) के छल्लों को गिनने के लिए वैज्ञानिकों को जीवाश्म (Fossil) को काटने की जरूरत थी जिससे पूरा वह हमेशा के लिए नष्ट हो सकता था. इसका समाधान डीटेल एक्स रे स्कैनिंग (X-Ray scanning) का उपयोग था जिससे उन्होंने रीढ़ की अंतर की संरचना का अध्ययन किया इससे जीवाश्म को नुकसान भी नहीं पहुंचा. इससे यह पता चला कि जब शार्क (Shark) की मौत हुई थी वह 46 साल की थी साथ ही यह भी कि जब यह शार्क पैदा हुई थी तब उसकी रीढ़ कितनी बड़ी थी. शोधकर्ताओं को हैरान हुई जब उन्हें पता चला की वह जब पैदा हुई थी तब दो मीटर बड़ी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
कुछ शार्क (Shark) अंडे (Eggs) देती हैं जबकि दूसरे शिशुओं को जन्म देती हैं. लेकिन ज्यादातर शार्क में मां के अंदर ही अंडे में से बच्चा निकलता है. जहां नवजात (Infants) अंडे के अंदर की बाकी समाग्री खाता है जब की शिशु पूरा विकसित नहीं हो जाता. पैदा होने के समय इनका विशाल आकार बताता है कि मेगालोडोन (Megalodon) में शिशुओं के पैदा होने की यही प्रक्रिया रही होगी. इसके लिए गर्भाशय (Womb) में विशाल आकार हासिल करने के लिए इन शिशुओं को भोजन भी बहुत अधिक खाना होता होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
यह अध्ययन कहता है कि संभव यही है कि मेगालोडोन (Megalodon) शिशुओं (infant)की वृद्धि कैनिबलिज्म (Cannibalism) यानी अपने ही स्वजनों को खाने से होती होगी. ये शिशु अपनी मां के गर्भ में अपने ही सहोदर अंडों (Eggs) को खा लेते होंगे. हालाकि यह अभी सटीक तौर पर पता नहीं है कि उस मेगालोडोन माता के गर्भ में कितने भ्रूण थे. अंडों से निकल चुके भ्रूण आसपास के अंडे खा लेते थे और कुछ मामलों में जैसे की सैंड टाइगर में होता है, वे दूसरे भ्रूण को ही खा लेते होंगे. शार्क के दो गर्भाशय होते हैं इसलिए एक बार में कम से कम दो मेगालोडोन पैदा हो सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)