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शहरों की सेहत पर क्या जानकारी दे सकती हैं मधुमक्खियां?

शहरों में रहने वाली मधुमक्खियां वहां के सूक्ष्मजीवन के बारे में काफी जानकारियां दे सकती हैं. नए अध्ययन मे वैज्ञानिको न मधुमक्खियों के छत्ते के अवशेषों में से जमा पदार्थों का जेनेटिक विश्लेषण अलग अलग सूक्ष्मजीवों के डीएनए की उपस्थिति दिखी जिससे शहरों के सूक्ष्मजीवन के बारे में काफी कुछ पता चलता है.

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नए अध्ययन में बताया गया है कि शहरी मधुमक्खियों के पास ऐसे सुराग होते हैं जिनसे दुनिया के शहरों के माक्रोबायोम के की जानकारी मिल सकती है इससे उनके छत्त्तों और इंसानों की सेहत दोनों के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. वैसे तो शहरों को इंसानों के रहने के लिए ही डिजाइन किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद कई प्रकार के जीव यहां जीते हैं और अपना एक अलग ही पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर लेते हैं. इसमें सूक्ष्मजीवों की बायोम सबसे ज्यादा उल्लेखीय है क्योंकि इस पर इंसानों का ध्यान तब तक नहीं जाता है जब कि वे जीव इंसानों के लिए ही नुकसानदेह नहीं बन जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

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एनवायर्नमेंटल माइक्रोबायो में प्रकाशित अध्ययन में इस पड़ताल की जानकारी दी गई है. अब देखने में आया है कि सूक्ष्मजीवों के शहरों में विस्तार आदि को समझना शहरी नियोजन और मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक महत्व है. लेकिन शहरों में से सूक्ष्मजीवों के नमूने हासिल कराना बहुत ही कठिन, चुनौतीपूर्ण और खर्चीला काम हो जाएगा. एलिजाबेथ हेनाफ और उनकी टीम ने मधुमक्खियों की क्षमताओं का उपयोग कर शहरों के सूक्ष्मजीवों के नमूने जमा किए. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

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मधुमक्खियां शहरी वातावरण में करीब एक मील की दूरी तर अपने भोजन की तलाश रोज करती हैं. शोधकर्ताओं न्यूयार्क में एक पायलट सर्वे किया जहां उन्होंने तीन मधुमक्खियों के छत्तों से बहुत सारे पदार्थों के नमूने जमा किए और उन्हें पर्यावरणीय बैक्टीरिया सहित बहुत सारी जेनेटिक जानकारी मिली जो कि छत्तों के ही तल में जमे कचरे में मौजूद थी. इसके अलावा उन्होंने सिडनी, मेलबर्न, वेनिस और टोक्यो के छत्तों से अवशेषो में कचरे में मधुमक्खियों द्वारा जमा किए खास तरह के जैनेटिक संकेतक देखने को मिले. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

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वेनिस में जेनेटकि आंकड़े मुख्य रूप से फफूंद से बने थे जिसका संबंध सड़ी हुई लकड़ी और खजूर के पेड़ों के डीएनए से था, मेलबर्न के नमूनों में यूकेलिप्टस के नमूनों की बहुलता पाई गई जबकि सिडनी के नमूनों ने छोटे पौधों के डीएनए दर्शाए लेकिन उसमें ऐसे बैक्टीरिया प्रजातियां थीं जिसमें जो रबर को विखंडित करती हैं. वहीं टोक्यों के नमूनों में कमल और जंगली सोयाबीन के पौधों के डीएनए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

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विशेषज्ञों ने छत्तों के अवशेषों से रिकेटसिया फेलिस नाम के कैट स्क्रैच फीवर रोगाणु के जेनिटक पदार्थ भी मिले जो इंसानों में बिल्ली के खरोंचने से फैलते हैं. इस पड़ताल के नतीजे वैसे तो निगरानी के एक नए और कारगर तरीके को रेखांकित करते हैं, लेकिन अभी वे प्राथमिक स्तर पर ही हैं इसलिए इन्हें इंसानी बीमारियों की निगरानी की प्रभावोत्पादकता के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है. (फाइल फोटो)

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इसके अलावा छत्तों के अवशेषों में मधुमक्खियों से संबंधित सूक्ष्मजीव मिलते हैं जो मधुमक्खियों के हिस्से इन अवशेषों या कचरों में मिलते हैं. चार शहरों के 33 नमूनों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पगाया कि मधुमक्खियों के सूक्ष्मजीव सेहतमंद छत्ते का संकेत होते हैं. कुछ मामलो में कई रोगाणु भी पाए गए है जिससे पता चलता है कि इस तरह के विश्लेषण मधुमक्खियों की सेहत की जानकारी भी दे सकते हैं. (फाइल फोटो)

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शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मधुमक्खियों के छत्तों के अवशेष में शहरी वातावरण के बहुत सारी जानकारी प्रदान करते हैं. यह नया तरीका अन्य उपायों के साथ शहरों में सूक्ष्मजीवों और सेहत की जानकारियां दे सकता है. इससे इंसानों, मक्खियों और शहरी पारिस्थितिकी तंत्र के जटिल अंतरक्रियाओं का भी पता चल सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

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    शहरों की सेहत पर क्या जानकारी दे सकती हैं मधुमक्खियां?

    नए अध्ययन में बताया गया है कि शहरी मधुमक्खियों के पास ऐसे सुराग होते हैं जिनसे दुनिया के शहरों के माक्रोबायोम के की जानकारी मिल सकती है इससे उनके छत्त्तों और इंसानों की सेहत दोनों के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. वैसे तो शहरों को इंसानों के रहने के लिए ही डिजाइन किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद कई प्रकार के जीव यहां जीते हैं और अपना एक अलग ही पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर लेते हैं. इसमें सूक्ष्मजीवों की बायोम सबसे ज्यादा उल्लेखीय है क्योंकि इस पर इंसानों का ध्यान तब तक नहीं जाता है जब कि वे जीव इंसानों के लिए ही नुकसानदेह नहीं बन जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

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