बोलिविया की जेलों में इन दिनों इसी तरह कैदियों के हाथों में किताबें नजर आती हैं. हर किताब को पढ़ने के बाद उसका एक टेस्ट होता है. और फिर उसका लाभ रिहाई जल्दी होने के तौर पर मिलता है. कुछ कैदी तो ऐसे भी हैं जो तेजी से किताबें पढ़ जाते हैं लेकिन आमतौर पर यहां की जेलों में बंद कैदियों में ज्यादातर बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं. इसलिए उनके लिए किताबें पढ़ना थोड़ा समय लेने वाला काम है.
वैसे जेलों में लाइब्रेरी का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है. अमेरिका में पहली बार वर्ष 1790 में जेल में लाइब्रेरी खोली गई थी. अब वहां की सभी राज्य और फेडरल जेलों में लाइब्रेरी जरूर होती है, जिससे किताबें इ्श्यू कराकर कैदी पढ़ सकते हैं. पहले तो कैदियों को केवल धार्मिक किताबें ही पढ़ने के लिए दी जाती थीं लेकिन फिर बाद हर तरह की किताबें दी जाने लगीं. (shutterstock)
IND vs ENG: जॉनी बेयरस्टो ने लगातार 4 पारियों में 50 से अधिक रन बनाए, स्ट्राइक रेट 100 से ऊपर का
PICS: ट्रांसपेरेंट्स साड़ी में बवाल दिखीं 'Pushpa' की विलन दक्षयानी, एक्ट्रेस की खूबसूरती ने जीता फैंस का दिल
जुलाई 2022: पहले सप्ताह में मुंडन के 3 मुहूर्त, देखें विवाह, खरीदारी का शुभ समय
Kishor Das Death: 30 साल के अभिनेता किशोर दास की कैंसर से मौत, Asianet Icon Award से हुए थे सम्मानित; जानिए