दक्षिण कोरिया में हुए अध्ययन में पाया गया है कि आर्तगल यानि काकलबर नाम का बेकार समझे जाने वाले पौधे के फल में कॉस्मेटिक के लिहाज से बहुत सारे गुण पाए जाते हैं. इससे एंटी एजिंग, जलन को कम करने, जल्दी से घाव भरने, पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव को कम करने के भरपूर गुण होते है.
आर्तगल यानि काकलबर नाम का तेजी से फैलने वाला पौधा मुख्य रूप से दक्षिणी यूरोप, मध्य एशिया और चीन में पाया जाता है. बहुत से लोगों के लिए यह केवल बेकार का पौधा होता है जिसे खरपतवार की श्रेणी में रखा जाता है. लिकन दक्षिण कोरिया के म्योन्गजी यूनिवर्सिटी की अगुआई में शोधकर्ताओं की टीम ने पाया है कि इसके फल में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी घटक होते हैं जो त्वचा की रक्षा करने के साथ ही एक एंटी एजिंग उत्पादन के रूप में भी बहुत उपयोगी हो सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
आर्तगल के पौधे पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. इस तरह के पौधे आमतौर पर नदी के किनारे नम और रेतीले इलाकों के साथ ही सड़क के किनारे पानी भरे गड्ढों में पाए जाते हैं . वैज्ञानिकों ने इन्हीं पौधों पर प्रयोगशाला में परीक्षण कर खोजा है कि इस पौधे के कांटेदार पौधे के पदार्थ बी श्रेणी की पराबैंगनी विकिरण से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं, घावों को तेजी से भर सकते हैं. . (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
आर्तगल के फलों के पदार्थ कोलेजन नाम के प्रोटीन के उत्पादन को प्रभावित करते हैं जो त्वचा को लचीलापन दे सकते हैं और उसमें झुर्रियां आने से रोकने में भी कारगर होते हैं. अलग अलग जगहों पर पनपे आर्तगल के फलों की जैविक गतिविधि की तुलना करने पर विशेषज्ञों ने पाया है कि चीन की तुलना में दक्षिण कोरिया में पनपे आर्तगल के फलों में ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट या एंटी इन्फेमेटरी गुण होते हैं और साथ ही उनमें घाव भरने की क्षमता भी ज्यादा होती है. ऐसा ही प्रभाव अन्य गुणों में भी देखने को मिलता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
म्योन्गजी में डॉक्टोरल स्टूडेंट यूनसु सॉन्ग का कहना है कि उन्होंने पाया है कि आर्तगल के फल में त्वचा के संरक्षण की क्षमताएं हैं और उससे कोलैजन के निर्माण को बढ़ाने में मदद मिलती है. इस लिहाज से यह क्रीम और अन्य कॉस्मेटिक प्रारूपों के लिए आकर्षक घटक हो सकता है. इसकी दूसरे घटकों के साथ मिल कर इसका प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाता है जो पहले से ही एंटी एजिंग उत्पादों में उपयोग लाए जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
लेकिन फिर भी वैज्ञानिक चेतावनी भी देते हैं कि आर्तगल के फल का सार तत्व का ज्यादा डोज खतरनाक भी हो सकता है. इसमें कार्बोक्सीएकट्रैक्टायलोसाइड नाम का एक जहरीला पदार्थ भी होता है जो लीवर को नुकसान भी पहुंचा सकता है. आर्तगल ने कोलेजन संश्लेषण के लिए एक कॉस्मेटिक एजेंट के तौर पर काफी क्षमता दिखाई है, लेकिन ज्यादा मात्रा में इसके नतीजे नकारात्मक भी रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
सॉन्ग का कहना है कि आर्तगल के फल के पदार्थों की सही मात्रा की भूमिका बहुत अहम हो जाती है और उसके पदार्थों के सार तत्वों कॉस्मेटिक उत्पादों के व्यवसायिक उपयोग में भी उनकी मात्रा बहुत ही निर्णायक साबित होगी. ऐसे में भविष्य के शोधकार्यों में वैज्ञानिक फल के पदार्थों के जैविक प्रणाली को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
इसके लिए शोधकर्ताओं का मकसद जानवरों पर इसके प्रयोग करना है जिससे वे आर्तगल के फल के सार तत्वों से बने कॉस्मेटिक उत्पादों के सुरक्षित प्रभावों का आंकलन कर सकें. यह अध्ययन अमेरिकन सोसाइटी ऑफ बायोकैमिस्ट्री एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी की वार्षिक मीटिंग डिस्कवर बीएमबी में प्रस्तुत किया गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
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