कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati) के 12वें सीजन में मगलवार के एपीसोड में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने हॉट सीट पर प्रतियोगी से सवाल पूछा कि किस ऋषि का जन्म भगवान शिव (Lord Shiva) के गुस्से से हुआ. हमारे पुराणों में इसे लेकर काफी रोचक कहानी है. इससे जिन ऋषि दुर्वासा (Rishi Durvasa) का जन्म हुआ, वो खुद अपने गुस्से (Anger) के लिए विख्यात रहे.
कौन बनेगा करोड़पति के 12वें सीजन में मंगलवार को अमिताभ बच्चन ने एक ऐसा सवाल पूछा कि प्रतियोगी को कोई जवाब समझ में नहीं आया. सवाल था कि किस भारतीय ऋषि का जन्म भगवान शिव के गुस्से से हुआ. इसमें जो चार विकल्प दिए गए, उनमें सही जवाब था-ऋषि दुर्वासा. जो भारत के महान ऋषियों में थे लेकिन उनके गुस्से से हर कोई डरता था. उन्हें कब और किस बात पर गुस्सा आ जाए और फिर वो कौन सा श्राप दे दें, कोई नहीं...
चूंकि ऋषि दुर्वासा शिव के गुस्से की वजह से पैदा हुए थे, इसलिए उन्हें शिव जी का रूप भी माना जाता है. वो खुद शिव के बहुत बड़े भक्त थे. भगवान शिव की तरह ऋषि दुर्वासा का गुस्सा भी खतरनाक होता था. ऋषि दुर्वासा शिव के पुत्र थे, लेकिन उनसे अलग भी थे. भगवान् शिव को मनाना जितना आसान था, ऋषि दुर्वासा को मनाना, खुश करना उतना ही कठिन. हालांकि दोनों का गुस्सा एक जैसा तेज.
ऋषि दुर्वासा का क्रोध इतना तेज था, जो कई बार उनके लिए भी घातक हो जाता था. क्रोध के चलते दुर्वासा किसी भी को दंड, श्राप दे दिया करते थे, उनके क्रोध से राजा, देवी-देवता, दैत्य, असुर कोई भी अछुता नहीं था. वैसे उनके जैविक पिता और माता अत्री और अनसुइया को माना जाता है. ब्रह्मानंद पुराण के अध्याय 44 के अनुसार ब्रह्मा और शिव में एक बार झगड़ा हुआ. शिव बहुत गुस्से में आ गए. डर से सभी देवी देवता छ...
भगवान शिव को भी अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने तय किया कि वो अपने गुस्से को ऋषि अत्री की पत्नी अनसुइया के अंदर संचित कर देंगे. देवी अनसुइया के अंदर शिव के इस भाग से एक बच्चे का जन्म होता है, जिसका नाम दुर्वासा होता है. शिव के गुस्से से जन्मे ऋषि दुर्वासा का स्वाभाव उन्ही की तरह बहुत गुस्से वाला और चिड़चिड़ा था.
एक अन्य कथा के अनुसार महर्षि अत्री और उनकी पत्नी अनसुइया को कोई संतान नहीं थी. तब ब्रह्मा जी कहते पर संतान प्राप्ति के लिए दोनों ने ऋक्षकुल पर्वत पर त्रिदेव की कड़ी तपस्या की. उससे खुश होकर तीनों भगवान उनके सामने आए और उन्हें वरदान दिया कि वो खुद उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे. तब फिर ब्रह्मा जी के रूप में सोम, विष्णु जी के रूप में दत्त और शिव जी के रूप में दुर्वासा जी का जन्म हुआ.
कालिदास द्वारा लिखित अभिज्ञानशाकुन्तलम् के अनुसार ऋषि दुर्वासा जब शकुंतला के पास पहुंचे तो उन्होंने उन्हें प्रेमी दुष्यंत के खयालों में पाया. इससे रुष्ट होकर ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि उनका प्रेमी उन्हें भूल जाएगा. इससे शकुंतला की चेतना टूटती है और वो ऋषि से माफी मांगती हैं. तब ऋषि श्राप को थोडा कम करते हुए कहते है कि दुष्यंत उन्हें तब पहचानेगा जब वो अपनी दी हुई अंगूठी देखेगा. ऋषि दुर्...
महाभारत में ऐसी बहुत सी कथाएं हैं, जहां ऋषि दुर्वासा से लोगों ने वरदान मांगे. उन्होंने प्रसन्न होकर ऐसा किया भी. कुंती और दुर्वासा से जुड़ी भी एक कहानी है. कुंती जवान थीं, राजा कुंतीभोज ने उन्हें गोद लिया हुआ था. दुर्वासा उनके यहां मेहमान बनकर आए. कुंती ऋषि की खूब सेवा की. ऋषि दुर्वासा खुश हुए. जाते वक्त अथर्ववेद मंत्र के बारे में बताया, जिससे कुंती अपने मनचाहे देव से प्राथना कर संतान प्...
भगवान कृष्ण को भी दुर्वासा जी ने श्राप दिया जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई थी. कुल मिलाकर उनके गुस्से से कोई नहीं बच सका. आमतौर पर लोग उनसे बचकर ही रहते थे कि कहीं उनका सामना ऋषि से हो ना जाए, क्योंकि उन्हें आशंका रहती थी कि पता नहीं ऋषि किस बात पर खफा हो जाएं और श्राप दे डालें.