हिंदुस्तान की पहली महिला फेमिनिस्ट, जिसे विवेकानंद पसंद नहीं करते थे

यूरोप के चर्च 5 अप्रैल को उनकी याद में फीस्ट डे के तौर पर मनाते हैं. भारत सरकार ने भी रमाबाई के नाम पर एक डाक टिकट जारी किया है. हालांकि रमा बाई को अब भी एक समाज सुधारक के रूप में हिंदुस्तान में वो पहचान नहीं मिली जो उनके समकालीन को मिली.

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