हमारे कई अंग ऐसे भी हैं, जो अतिरिक्त हैं. यानी जिन्हें निकाल भी दिया जाए तो शरीर आराम से अपने काम करता रहेगा. एपेंडिक्स के बारे में तो हम हमेशा से सुनते आए हैं लेकिन कई दूसरे अंग भी गैरजरूरी हैं. हां, हमारे पूर्वजों के लिए वे काफी काम थे. खासकर शिकार करने या दूर से ही किसी की आहट लेने या सूंघने में ये अंग काम आते हैं. वैज्ञानिक मानते हैं कि शरीर के क्रमिक विकास के साथ कई अंग गायब हुए होंगे लेकिन अब भी हमारे शरीर में ऐसे कई ऑर्गन हैं, जो गैरजरूरी हैं. सांकेतिक फोटो (pixabay)
सबसे पहले तो बात करते हैं एपेंडिक्स की. छोटी और बड़ी आंतों के बीच स्थित ये अंग किसी काम का नहीं है. बल्कि कई बार इसमें सूजन आ जाने से पेट में संक्रमण का डर रहता है. तब आनन-फानन सर्जरी कर इसे निकालना पड़ जाता है. यहां तक कि अगर इलाज न मिले तो मरीज को जान का खतरा होता है. आजकल कई वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि एपेंडिक्स उतना भी बेकार अंग नहीं, बल्कि इसमें गुड बैक्टीरिया का जमावड़ा रहता है. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है. सांकेतिक फोटो (pixabay)
इसी तरह से टॉन्सिल भी किसी काम का अंग नहीं माना जाता. मुंह के भीतर अकल दाढ़ के किनारे पाया जाने वाला ये अंग केवल मांस का एक टुकड़ा है, जिसका बोलने, सुनने या किसी भी फंक्शन में कोई योगदान नहीं. कई बार इसके कारण मुंह में संक्रमण हो जाता है, जिसके कारण गले में दर्द होता है और मरीज खा-पी नहीं पाता. कई बार टॉन्सिल लगातार बढ़ने पर डॉक्टर इस अंग को सर्जरी करके निकलवाने की सलाह देते हैं. सांकेतिक फोटो (pixabay)
अकल दाढ़ यानी विसडम टीथ को भी इसी श्रेणी में रखा जाता है. पूर्वजों के समय में कच्चे गोश्त को चबाने या पचाने में इसकी भूमिका रही होगी लेकिन अब ये एक तरह से गैर-जरूरी हिस्सा है. बहुत से लोगों की दाढ़ का ये हिस्सा कभी आता ही नहीं है. कई बार जबड़ों में पर्याप्त जगह न होने पर अकल दाढ़ आने से काफी दर्द होता है. तब इस दाढ़ को जड़ से हटाना होता है. सांकेतिक फोटो (libreshot)
पैरानेजल साइनस भी अवशेषी अंगों में आता है. ये नाक के चारों ओर होता है और इसका कोई काम नहीं है. बल्कि सर्दियों के मौसम में इसके कारण संक्रमण का डर बढ़ जाता है. हालांकि आजकल वैज्ञानिक इसे वो अंग मानने लगे हैं, जिसका काम स्पष्ट न दिखने के बाद भी काफी जरूरी है. जैसे ये चेहरे की मांसपेशियों को संतुलित करता है और आवाज के साफ होने में भी इसकी भूमिका है. जो भी हो, फिलहाल तक इसे गैरजरूरी ही माना जा रहा है. सांकेतिक फोटो
टेलबोन भी ऐसा ही एक अंग है जो हमारे लिए किसी काम का नहीं. ये रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में जुड़ी कशेरुकाओं का समूह है, जो पूंछ की तरह होता है. माना जाता है कि मनुष्य के विकास से पहले ये पूरी पूंछ की तरह रहा होगा, जो चलते या भागते हुए संतुलन बनाने में मदद करता होगा. अब ये हड्डियोंनुमा पूंछ हमारे लिए किसी काम नहीं. सांकेतिक फोटो (needpix)
ऑरिक्यूलर मांसपेशियां भी हमारे लिए गैरजरूरी हैं. ये वे मांसपेशियां हैं जो हमारे कानों के चारों ओर होती हैं. ये मसल्स जानवरों में भी पाई जाती हैं. वे इसकी मदद से कानों को हिला-डुलाकर दूर की आवाज सुन पाते हैं. साथ ही ये उनके लिए तरह-तरह की संवेदनाएं जताने का भी जरिया हैं. हालांकि इंसानों में ये मांसपेशियां कोई काम नहीं करती हैं. सांकेतिक फोटो (pxhere)