फिल्मों के स्पेशल इफेक्ट्स में कैसे यूज़ होती है केमिस्ट्री?

Everyday Science : आपको साइंस फिक्शन (Sci-Fi) पंसद है, या एक्शन या हॉरर? ड्रामा फिल्में (Drama Movies) भी पसंद हैं, तो गोली निशाने पर लगने या कपड़ों में आग लगने जैसे इफेक्ट दिखते हैं. इनके पीछे स्कूल से कॉलेज स्तर तक की केमिस्ट्री (Basic Chemistry) यूज़ होती है.

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फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स के बारे में आप जानते हैं कि ये तकनीकों से काल्पनिक विज़ुअल को बेहतर और सटीक दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. आग लगने, कांच की दीवार टूटने, धुआं या बर्फबारी या फिर खून बहने से जुड़े दृश्यों में न तो आग असली में लगती है और न ही खून सच में बहता है. काफी कुछ कंप्यूटर ग्राफिक्स से संभव होता है, लेकिन अब भी कई फिल्मों, थिएटर और टीवी शो में बेसिक केमिकल तकनीकों ...

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डरावने दृश्यों में धुएं या अन्य दृश्यों में कोहरे जैसे माहौल के लिए कैमरा लेंस में फिल्टर का यूज़ होता है. इसके अलावा, गर्म पानी में सूखी बर्फ से ऐसे इफेक्ट पैदा करना मुमकिन है. पहले फिल्म इंडस्ट्री में टाइटेनियम टेट्राक्लोराइड से स्मोक इफेक्ट दिया जाता था, लेकिन यह खतरनाक होने के कारण अब नहीं इस्तेमाल होता है. स्मोक इफेक्ट के लिए ग्लाइकॉल के साथ पानी के मिश्रण का प्रयोग होता है, जिसे फ...

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रंगीन आग की लपटों के दृश्य दिखाने के लिए यूज़ होने वाली तकनीक को पायरोटेक्नीक कहते हैं. एक वर्टिकल ट्यूब की तरह की मशीन फ्लेम प्रोजेक्टर से इस तरह के दृश्य पैदा होते हैं. साथ ही, प्रोपेन और एल्केलाइन धातुओं के कण के प्रयोग से फ्लेम के इफेक्ट पैदा किए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर 50 ग्राम ब्लैक पाउडर को 1 लीटर पेट्रोल के साथ मोर्टार से फायर करने पर ऐसा इफेक्ट पैदा होता है. इसी तरह, चिनगारी...

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कई फिल्मों में खून खराबा बेहद होता है और ज़ख्मों को भी हाईलाइट करते हुए दिखाया जाता है. खून और ज़ख्म सब फेक होते हैं. पोटैशियम थायोसायनेट को ​त्वचा पर लगाया जाता है या फिर चाकू के गहरे घाव को दिखाने के लिए फेरिक नाइट्रेट यूज़ होता है. थिएटर या लाइव इवेंट्स में किसी भी गाढ़े ड्रिंक में फूड कलर मिलाकर इस तरह के इफेक्ट्स दिए जाते हैं. (Image : Pixabay)

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पहले फिल्मों में कांच टूटने के दृश्यों के लिए शुगर ग्लास बनाए जाते थे, लेकिन अब इनकी जगह कई तरह के थर्मोप्लास्टिक के बारीक कणों यानी राल का इस्तेमाल होता है. कई बार ऐसे दृश्यों के लिए कॉर्न सिरप, शुगर और पोटैशियम बायटरट्रेट के यूज़ से ब्रेकअवे ग्लास बनाए जाते हैं. इनकी खासियत यह भी होती है कि टूटने के बाद इन्हें रीयूज़ किया जा सकता है. (Image : Pixabay)

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बर्फ या बर्फबारी के दृश्य किस स्तर के हैं, इस हिसाब से शेव्ड आइस, फटे कागज़, चावल या आलू स्टार्च, पॉलीस्टीरीन, शेविंग फोम, जिप्सम या इप्सम आदि का प्रयोग होता है. ऐसे दृश्यों के वक्त यह ध्यान रखने के निर्देश होते हैं कि यूज़ किया जा रहा मटेरियल इको फ्रेंडली हो, शूटिंग के बाद साफ किया जा सके और पानी में घुल सके. अधिकांशत: सोडियम पॉलीएक्रिलेट का इस्तेमाल होता है. (Image : Pixabay)

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जब कोई व्यक्ति कपड़ों या शरीर पर आग लगाकर कोई एक्टिविटी करता है, तो ऐसे दृश्यों में आग से बचने या आग रोकने वाले जेल का इस्तेमाल होता है. पोटैशियम पॉलीएक्रिलेट के पानी के साथ मिश्रण से बने जेल की परतें ऐसे दृश्यों में बचाव के लिए लगाई जाती हैं. ये सभी स्टंट या स्पेशल इफेक्ट देते वक्त सुरक्षा का खयाल रखकर सावधानी बरती जाती है. ऐसे एक्सपेरिमेंट्स घर पर न करने की हिदायत दी जाती है. (Image :...

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    फिल्मों के स्पेशल इफेक्ट्स में कैसे यूज़ होती है केमिस्ट्री?

    फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स के बारे में आप जानते हैं कि ये तकनीकों से काल्पनिक विज़ुअल को बेहतर और सटीक दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. आग लगने, कांच की दीवार टूटने, धुआं या बर्फबारी या फिर खून बहने से जुड़े दृश्यों में न तो आग असली में लगती है और न ही खून सच में बहता है. काफी कुछ कंप्यूटर ग्राफिक्स से संभव होता है, लेकिन अब भी कई फिल्मों, थिएटर और टीवी शो में बेसिक केमिकल तकनीकों का इस्तेमाल होता है और स्पेशल इफेक्ट ​से बेहतरीन दृश्य दिखते हैं. ऐसे ही कुछ दृश्यों के प्रयोगों के बारे में जानिए.

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