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कैसे खुला IIT, जिसकी देन पराग अग्रवाल और कई स्टूडेंट्स अमेरिका में सीईओ

Parag Agrawal And IIT : हाल ही में मुंबई आईआईटी से पढ़े पराग अग्रवाल ट्विटर के सीईओ बने. उसके बाद देश का सर्वोच्च तकनीक शिक्षा संस्थान फिर चर्चाओं में आ गया. आईआईटी से निकले बहुत से स्टूडेंट्स इस समय अमेरिका की बड़ी कंपनियों में सीईओ या बड़े पदों पर हैं और उनकी मेघा का लोहा सारी दुनिया मानती है. आखिर आईआईटी की शुरुआत कैसे हुई. और उसने कैसे एक खास जगह बना ली है.

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आईआईटी से इतनी ढेर सारी प्रतिभाएं दुनियाभर में अपना लोहा मनवा रही हैं कि ये संस्थान साबित कर रहा है कि वो किस तरह से क्रीम स्टूडेंट्स को निखारता है. एक नहीं हजारों ऐसे स्टूडेंट्स अमेरिका और दूसरे देशों में है, जो वहां बहुत बड़े पदों पर हैं और नए नए इनोवेशन कर रहे हैं. आईआईटी शुरू होने की कहानी काफी दिलचस्प है. ये आईआईटी का पहला कैंपस था, जो बंगाल के खड़गपुर में खुला था. इसे हिजलीपुर जेल बिल्डिंग में खोला गया था.

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दरअसल आजादी के पहले से भारत में उच्च शिक्षा वाले तकनीक कॉलेज की जरूरत महसूस की जा रही थी. तब एक 22 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. उसकी संस्तुतियों के आधार पर तय किया गया कि देश में पहला ऐसा इंजीनियर कॉलेज खोला जाए जो मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नॉलाजी की तर्ज पर हो. तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने बंगाल के मुख्यमंत्री बीसी राय के सुझाव पर इसकी नींव 1950 में खड़गपुर में रखी.

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एक साल बाद ही इसकी शुरुआत हुई. फिर संसद में आईआईटी खड़गपुर एक्ट पास करके इस पर मुहर लगा दी गई. जब 1956 में इसके पहले दीक्षांत समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू गए तो उन्होंने कहा कि ये शिक्षा का संस्थान भारत का भविष्य बनेगा. हालांकि ये बात अलग है कि यहां की प्रतिभाएं अमूमन विदेश ही चली जाती हैं. आईआईटी खड़गपुर के बाद 1958 में मुंबई, 1959 में मद्रास औऱ कानपुर आईआईटी कैंपस खोले गए. 1961 में दिल्ली की शुरुआत हुई.

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यह ऐसे शिक्षण संस्थान हैं, जिनमें शिक्षा हासिल करने के लिए दाखिला मिलना राष्ट्रीय गौरव का विषय माना जाता है. केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के छात्र इन संस्थानों में पढ़ने के लिए तरसते हैं. IIT की संख्या अब देश में 23 हो चुकी है. हालांकि 05 पुराने आईआईटी को अब भी बेजोड़ माना जाता है. इसमें खड़गपुर का कैंपस 2100 एकड़ में फैला है और सबसे बड़ा है. वैसे सबसे छोटा कैंपन दिल्ली आईआईटी का है, जो 325 एकड़ है.

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इन संस्थानों के श्रेष्ठ बौद्धिक शिक्षण स्तर के चलते पूरे देश और यहां तक कि पूरे एशिया में छात्रों के बीच एडमिशन के लिए होड़ मची रहती है. इन संस्थानों में स्नातक स्तर की पढ़ाई में प्रवेश एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के आधार पर होता है. यह परीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है और इसकी तैयारी कराने के लिये देश भर में हजारों 'कोचिंग क्लासेस्' चलाए जा रहे हैं.

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हालांकि आईआईटी संस्थानों की आलोचना की जाती रही है। माना जाता है कि भारत की गरीब जनता के पैसे से इसमें पढ़कर निकलने वाले पैसा कमाने के लालच में देश छोड़कर अमेरिका सहित दूसरे देशों में चले जाते हैं, जिससे यहां की बौद्धिक संपदा का लाभ भारत को ही नहीं मिल पाया है.

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    कैसे खुला IIT, जिसकी देन पराग अग्रवाल और कई स्टूडेंट्स अमेरिका में सीईओ

    आईआईटी से इतनी ढेर सारी प्रतिभाएं दुनियाभर में अपना लोहा मनवा रही हैं कि ये संस्थान साबित कर रहा है कि वो किस तरह से क्रीम स्टूडेंट्स को निखारता है. एक नहीं हजारों ऐसे स्टूडेंट्स अमेरिका और दूसरे देशों में है, जो वहां बहुत बड़े पदों पर हैं और नए नए इनोवेशन कर रहे हैं. आईआईटी शुरू होने की कहानी काफी दिलचस्प है. ये आईआईटी का पहला कैंपस था, जो बंगाल के खड़गपुर में खुला था. इसे हिजलीपुर जेल बिल्डिंग में खोला गया था.

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