कुछ टीकों में उस विशेष रोग के बैक्टीरिया, वायरस या सूक्ष्म जीवाणु होते हैं. कुछ अन्य प्रकार के टीकों में रासायनिक रूप से सुधारा गया विष होता है. ये विष रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं द्वारा पैदा किया जाता है. तीसरे प्रकार की वैक्सीन में जीवित वायरस होते है, जो रोग उत्पन्न करने वाले वायरस से घनिष्ठ संबंध रखते हैं. लेकिन ये अब शरीर की सेना की तरह से बाहर से आक्रमण करने वाले अपने जैसे वायरस को खदेड़ देते हैं.
दुनिया में तमाम बीमारियों से लड़ने वाले वैक्सीन विकसित हो चुके हैं. ये सभी वो बीमारियां हैं, जो दुनिया में कभी महामारी बनकर उभरीं और उन्होंने बड़े पैमाने पर लोगों की जान ले ली. लेकिन उनके टीके अब लोगों को उन बीमारियों से महफूज रखते हैं. कुछ टीके जीवन के लिए आपको संबंंधित बीमारियों से रक्षा प्रदान करते हैं तो कुछ टीकों को एक निश्चित समय बाद कई बार लगवाना पड़ता है.
ज्यादातर कोई भी वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर में बुखार या दर्द जैसी दिक्कतें हो जाती हैं. वो इसलिए भी स्वाभाविक हैं, क्योंकि वैक्सीन लगने के बाद जब वैक्सीन के जीवाणु शरीर में पहुंचते हैं तो हलचल पैदा करते हैं, शरीर का तंत्र नए मेहमान का स्वागत नहीं करता बल्कि उन्हें खुद शरीर के अंदर घुसकर अपनी जगह बनानी होती है. इसके चलते शरीर एक उथल पुथल की प्रक्रिया से गुजरता है. यही वजह है कि वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ समय के लिए हम खुद को बुखार या दर्द संबंधी अन्य दिक्कतों को महसूस करते हैं.
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