Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) के प्रमुख नेता ही नहीं बल्कि भारतीय समाज को एक दिशा देने कर्मठ व्यक्ति भी थे. एक लेखक, ओजस्वी वक्ता, वकील, इतिहासकार, संपादक, आर्थिक एवं समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पहचान बनाने वाले लालाजी ने देश के कई हिस्सों में सामाजिक बदलाव लाने के साथ लोगों में आर्थिक बदलाव लाने के भी सार्थक प्रयास किए. उनके द्वारा स्थापित की गईं सस्थाएं (Institutions) उनके योगदान की गाथाएं खुद बयान करती हैं.
भारतीय इतिहास (Indian History) में 19वीं सदी का उत्तरार्ध और 20 सदी का पूर्वार्ध को स्वतंत्रता आंदोलन के रूप में ज्यादा याद किया जाता है. लेकिन इस दौर में बहुत सारे सामाजिक बदलाव भी देखे गए जिसमें स्वामी विवेकानंद, दयानंद स्वरस्ती जैसे नाम प्रमुखता लिए जाते हैं. लेकिन लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) वह नाम है जो भारतीय राजनीति के साथ समाज सुधार के साथ शिक्षा और आर्थिक सुधार के लिए भी जाना जाता है. उनका भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) में योगदान इतना बड़ा था कि इसके पीछे उनके बाकी योगदान छिप से जाते हैं. लेकिन भारतीय समाज को एक दिशा देने का काम ही है जिसकी वजह से उनके योगदान को एक विरासत की तरह देखा जाता है. देश 28 जनवरी को उनकी जयंती पर उन्हें याद कर रहा है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) 28 जनवरी 1865 में पंजाब (Punjab) के मोगा जिले में धुदीके (Dhudike Village) गांव के अग्रवाल जैन परिवार में जन्मे थे. उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण अग्रवाल सरकारी स्कूल में ऊर्दू और पारसी भाषा के शिक्षक थे. उनकी प्राथमिक शिक्षा रवाड़ी में हुई. धुदीके में उनका घर उनके सम्मान में लाला लाजपत राय मेमोरियल लाइब्रेरी बना दिया गया है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
1880 में लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया जहां उनका संपर्क लाला हंसराज और पंडित गुरू दत्त जैसे देशभक्तों से हुआ. कानून की पढ़ाई के बाद उन्होंने हिसार (Hisar) में वकालत शुरू की. इसी दौरान वे आर्यसमाज (Arya Samaj) के सम्पर्क में आए और फिर 1885 में कांग्रेस की स्थापना के समय वे उसके प्रमुख सदस्य बने. वे हिसार बार काउंसिल के संस्थापक सदस्य बने. उसी साल उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) की हिसार जिला शाखा की भी स्थापना की. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इस बीच 1886 में लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) ने लाहौर में दयानंद एग्लो वैदिक स्कूल की स्थापना में महात्मा हंसराज की सहायता की. इसके बाद 1892 में लाहौर उच्च न्यायालय में वकालत करने लाहौर (Lahore) चले गए. यहां उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता के साथ पत्रकारिता (Journalism) में योगदान देते हुए द ट्रिब्यून सहित कई अखबारों में नियमित योगदान दिया. 1914 के बाद उन्होंने वकालत पूरी तरह से छोड़ दी और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन (National Freedom Movement) में पूरी तरह से शामिल हो गए. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
राजनीति में आने के बाद लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) पहले ब्रिटेन फिर अमेरिका गए. 1917 में अमेरिका में उन्होंने न्यूयॉर्क में अमेरिका (USA) की भारतीय होम रूल लीग (Home Rule League) की स्थापना की और अमेरिकी विदेश मामले की हाउस कमेटी में भारत में ब्रिटिश राज के खिलाफ याचिका दायर की. इस बत्तीस पेज की याचिका को, जो रातोंरात तैयार की गई थी. अक्टूबर 1917 में अमेरिकी सीनेट में बाकायदा चर्चा भी हुई थी. कैलिफोर्निया में उनके सम्मान में एक भोज भी आयोजित हुए था जो उनकी अमेरिका में लोकप्रियता को दर्शाता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
1919 में लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) भारत आने के बाद कांग्रेस में एक बड़े नेता के रूप में सक्रिय रहे. उन्हें 1920 में कलकत्ता के अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया. इसके अगले साल उन्होंने लाहौर में सर्वेंट्स ऑफ द पीपुल सोसाइटी नाम की संस्था की स्थापना की. आजादी के बाद बटंवारा होने पर यह संस्था दिल्ली आ गई और आज देश में कई जगह उसकी शाखाएं हैं. उन्होंने हिंदू समाज की कई कुरीतियों को हटाने के लिए प्रयास किए जिसमें उन्होंने वेदों के महत्व को विशेष तौर प्रचारित किया. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) ने 1928 में लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध किया जिसके लाठी चार्च में वे बुरी तरह से घायल हो गए और कई दिन तक अस्पताल में रहने के बाद उसी साल 17 नवंबर को उनकी मौत हो गई. इसके बाद लालाजी के काम भी सामने आए जो उन्होंने समाज सेवा (Social Service) के तौर पर किए थे. उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) की स्थापना केसाथ लक्ष्मी इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना में भी प्रमुख भूमिका निभाई. उनकीमाता के निधन के बाद उन्होंने उनके नाम पर अस्पताल खोलने के लिए एक ट्रस्ट की भी स्थापना की जो 1934 में अस्पताल बना सका. देश में कई अस्पताल, शिक्षा संस्थान, सड़क आदि का नाम लाला लाजपत राय के नाम पर है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)