लोकसभा चुनाव 2019 के चार चरण के मतदान हो चुके हैं और पांचवें चरण का मतदान कल सोमवार, 6 मई को होने जा रहा है. ऐसे में कई दलों और राजनैतिक विश्लेषकों का मनना है कि इस बार किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है. यहां तक कि कई राजनीतिक पंडितों का यहां तक मानना है कि आगामी 23 मई को आने वाले परिणाम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भी बहुमत के जादूई आंकड़ा नहीं छूने जा रही है.
अगर राजनीतिक पंडितों की यह भविष्यवाणी सच साबित होती है तो पांच प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों के हाथ में सत्ता की चाभी चली जाएगी. जो कोई दल इन पांच प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों को साध ले जाएगा वही 2019 आम चुनाव के बाद सरकार बनाने में सफल होगा. आइए जानते हैं कौन से हैं वो दल.
इस कड़ी में पहला क्षेत्रीय दल है, बीजू जनता दल (BJD). इसका नेतृत्व नवीन पटनायक करते हैं. यह ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी है. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेडी के पास करीब 10 से 15 सीटें होंगी. नवीन पटनायक पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों की सरकार को समर्थन दे चुके हैं. ऐसे में वे किस करवट बैठेंगे, इसका फैसला अभी नहीं हो पाया है. लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि बीजेडी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के साथ आ सकते हैं.
किंग मेकर साबित होने वाली पार्टियों में दूसरी प्रमुख पार्टी है वाईएसआर कांग्रेस पार्टी. यह आंध्र प्रदेश की पार्टी है. इसका नेतृत्व जगन मोहन रेड्डी करते हैं. कांग्रेस से अलग होकर इस पार्टी का जन्म हुआ है. वाईएसआर रेड्डी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के धाकड़ नेता हुआ करते थे. लेकिन अब वहां के हालात बदल गए हैं. प्रदेश में कांग्रेस ने चंद्र बाबू नायडू की पार्टी तेलगू देश पार्टी (TDP) से गठजोड़ कर रखा है. लेकिन इस चुनाव में माना जा रहा है कि वाईएसआरसीपी 13 से 20 सीटें लाने में सफल रहेगी. बताया जा रहा है कि सत्ता की चाभी जिस ओर बैठ रही होगी जगन उसी का रुख कर लेंगे. अभी उन्होंने साफ नहीं किया है कि वे किसके साथ जाएंगे.
आगामी सरकार बनाने में अहम भूमिका तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) भी निभा सकता है. के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना में मजबूत पकड़ वाली रखने वाली यह पार्टी भी ममता बनर्जी की तरह चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा के तहत आगामी सरकार बनाने की वकालत कर रही थी. माना जा रहा है कि इस पार्टी के पास भी 12 से 15 सीटें आ सकती हैं.
सत्ता बनाने की चाभी रखने वाली तीसरी पार्टी है तृणमूल कांग्रेस (TMC). ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी चुनाव के पहले लगातार बीजेपी और कांग्रेस से इतर तीसरा मोर्चा खड़ा करने और उसी के नेतृत्व में अगली सरकार की गठन की बातें कर रही हैं. हालांकि वे केंद्र में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ पहले सरकार बना चुकी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि उनके 20 से 25 सीटें आ सकती हैं.
सपा-बसपा गठबंधन भी भारत की अगली सरकार चुनने में अहम भूमिका निभा सकती है. सपा-बसपा गठबंधन के पास भी 20 से 25 सीटें आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. उत्तर प्रदेश की इन दोनों क्षेत्रीय दलों के मुखिया अखिलेश यादव और मायावती हैं. दोनों बीजेपी खिलाफ मुखर हैं. साथ में कांग्रेस को लेकर दोनों का सॉफ्ट कॉर्नर है. यह कांग्रेस के साथ आगे बढ़ सकती हैं.
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