संयुक्त राष्ट्र (यूएन) हर साल आतंकियों की एक लिस्ट जारी करता है. इस सूची में वे आतंकवादी शामिल होते हैं, जिनका ताल्लुक ग्लोबल आतंकवाद से है. यानी इनकी आतंकवादी गतिविधियों से पूरी दुनिया परेशान रहती है. हाल ही में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को इसी लिस्ट में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र परिषद के सदस्य फ्रांस ने पहल की, जिसे यूएस और यूके का समर्थन भी मिला.
इन पांचों ही देशों के पास वीटो पावर है. यानी पांचों में से एक देश भी अगर किसी को आतंकवादी मानने से इन्कार कर दे तो उसकी बात मानी ही जाएगी. चीन अक्सर इस तरह के मामलों में अड़ंगा लगाता रहता है. जैसे पुलवामा हमले के बाद से सभी देश मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन चीन का रवैया ढीला-ढाला है. वो इससे पहले भी तीन बार पाकिस्तान को समर्थन देते हुए अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है.
यूएन अगर किसी को आतंकवाद से जुड़ा घोषित करता है तो उस संस्था या व्यक्ति की संपत्ति जब्त हो जाती है. उसे किसी तरह का व्यापार करने की इजाजत नहीं रहती. खासकर हथियारों से जुड़ा व्यापार. साथ ही साथ उसे दुनिया के किसी भी देश में यात्रा की अनुमति नहीं रहता है, सुरक्षा बतौर उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया जाता है.
फिलहाल जिस मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के लिए सभी देश जोर लगा रहे हैं, वो पहले भारत की कैद में था. अजहर के साथियों ने साल 1999 में एयर इंडिया के एक विमान IC-814 को अगुआ कर लिया. तब यात्रियों की जान बचाने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने मसूद और उसके दो साथियों को रिहा कर दिया था. इसके बाद से वे दोबारा आतंकवादी गतिविधियों में लग गए. 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमला भी जैश ने किया था.
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