मतुआ समुदाय की महारानी वीणापाणि देवी का 5 मार्च को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. महारानी की उम्र 100 साल से ज्यादा हो चुकी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें हमारे वक्त का आदर्श कहा था. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने उनकी मौत को व्यक्तिगत नुकसान बताया है. सीपीएम के गढ़ में बंगाल में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बनाने में वीणापाणि देवी का काफी योगदान माना जाता है.
मतुआ समुदाय आजादी के बाद विस्थापित होकर बांग्लादेश से प. बंगाल आया था. इस समुदाय के लोग वीणापाणि देवी को बड़ो मा कहते थे. वे प्रमथ रंजन ठाकुर की पत्नी थीं. प्रमथ रंजन ठाकुर का निधन पहले ही हो चुका था. प्रमथ मतुआ महासंघ की स्थापना करने वाले हरिचंद ठाकुर के पड़पोते थे.
दो फरवरी को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर 24 परगना में मतुआ बहुल क्षेत्र ठाकुरनगर में एक जनसभा की थी. उन्होंने कार्यक्रम से पहले महारानी से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया था.
उसके पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वीणापाणि देवी की 100वीं जन्मदिन पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जहां उन्होंने महारानी से आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
21 फरवरी की रात महारानी की तबीयत बिगड़ गई थी. तुरंत उन्हें जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया गया था. वे फेफड़े में संक्रमण समेत उम्र जनित कई बीमारियों से पीड़ित थीं.
बोंगांव के इलाके में मतुआ समुदाय के वोटरों का प्रतिशत 65 से 67 है. इसके अलावा भी वे प. बंगाल की 10 सीटों उनकी अच्छी संख्या है. ये 10 लोकसभा सीटें कृष्णानगर, रानाघाट, मालदा उत्तरी, मालदा दक्षिणी, बर्धमान पूर्वी, बर्धमान पश्चिमी, सिलिगुड़ी, कूच बिहार, रायगंज और जॉयनगर हैं. इन सारी ही सीटों पर मतुआ समुदाय के वोटर्स की संख्या औसतन 35 से 40 परसेंट है.
माना जाता है कि पिछली बार ममता बनर्जी के सत्ता में आने के पीछे मतुआ समुदाय के वोटर्स का बड़ा हाथ था.
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