दुनिया में जब-जब सीमाओं का विवाद हुआ, लोगों को उनके देश से, उनके घर से बेघर किया गया है, तब-तब दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. ऐसी त्रासदियों में कभी किसी बच्चे की तस्वीर सामने आती है तो कभी अफ्रीका के भुखमरी से जूझते लोगों की. ऐसी कई तस्वीरें हैं जिन्हें मार्मिकता के पैमानों पर दुनिया की सबसे प्रभावी तस्वीरें माना गया. ये ऐसी इमेज हैं जिन्होंने देखने वालों को झकझोरकर रख दिया और चीजों को देखने का उनका नजरिया बदल दिया. देखें ऐसी ही चुनिंदा तस्वीरें.
ये तस्वीर अमेरिका और मेक्सिको के बीच फंसे रिफ्यूजियों से संबंधित है. उत्तर अमेरिका की सीमा से लगी रियो ग्रांडे नदी के किनारे एक पिता और बेटी की लाश मिली. तस्वीर में 2 साल की बच्ची का सिर उसके पिता की टीशर्ट के भीतर है. इससे जाहिर होता है कि जिंदगी के आखिरी पल में पिता-पुत्री एक दूसरे को गले लगाए हुए थे.
इसी तरह 2 सितंबर 2015 को दुनिया भर में एक तस्वीर ने तहलका मचा दिया था. तुर्की के समुद्री तट पर एक सीरियाई बच्चे का शव बहता हुआ पहुंचा था, जिसने सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध का सबसे भयावह चेहरा दुनिया के सामने रखा था. एलन कुर्दी नाम के तीन साल बच्चे की ये फोटो सीरिया में चल रही तबाही का चेहरा बन गई. एलन कुर्दी उन करोड़ों लोगों में से एक था, जो सीरिया के भयानक गृह युद्ध से जान बचाने के लिए देश छोड़कर भाग रहे थे. पूरा परिवार 12 अन्य लोगों के साथ जंग से जूझ रहे सीरिया से निकलकर यूरोप जा रहा था. नाव समुद्र में पलट गई और लहरों के थपेड़े से उनके निर्जीव शरीर किनारे तक पहुंचे. बाद में इस पर द बॉय ऑन द बीच नाम की किताब भी लिखी गई थी.
13 नवंबर 1985 में कोलंबिया में नेवाडो डेल रुइज में फटे ज्वालामुखी से आई तबाही में आर्मेरियो शहर में 13 साल की अमायरा सांचेज फंस गई थी. वह पैर से लेकर छाती तक अपने ही घर के कंक्रीट और मलबे में फंस गई थी. बचावकर्मी जब वहां पहुंचे तो वो जिंदा थी. तय हुआ कि उसके पैर काटकर उसे बचाया जाएगा. 60 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में अमायरा लोगों से बात करती रही और मरती रही. समय के साथ-साथ उसका शरीर गलने लगा, चेहरे पर सूजन आ गई. अंत में तड़पते हुए उसने दुनिया को अलविदा कह दिया.
26 मार्च, 1993 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपने के बाद इस तस्वीर ने पुलित्जर अवार्ड तक का रास्ता तय किया. लेकिन इस तस्वीर को खींचने वाले ने आखिरकार आत्महत्या कर ली. फोटोग्राफर का नाम था- केविन कार्टर. यह तस्वीर भुखमरी के शिकार सूडान में चल रहे विद्रोही आंदोलन के वक्त की थी. इसमें कुपोषण की शिकार एक बच्ची के ठीक पीछे गिद्ध बैठा हुआ है.
दक्षिण वियतनाम की एक सड़क पर बगैर कपड़ों के भागती किम फुक (Kim Phuc) की तस्वीर. नौ साल की किम के साथ कुछ और बच्चे भाग रहे हैं. सड़क के अंतिम छोर पर बमधमाके के बाद उठा हुआ काले धुएं का गुबार है. साल 1972 में वियतनाम युद्ध के दौरान ली गई इस तस्वीर को पुलित्जर अवार्ड मिला था. आज किम फुक मानवाधिकारों पर काम करती हैं.
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