अक्सर शादी-ब्याह या ऐसे उत्सवों में कहीं से किन्नर आ धमकते हैं और तालियां बजाते हुए दुआएं देते हैं. वे एक खास अंदाज में ताली बजाते हैं, जो स्कूल-कॉलेजों या दूसरे मौकों पर बजने वाली तालियों से एकदम अलग होती है. किन्नर बिना मतलब ताली नहीं बजाते, बल्कि ताली का ये खास अंदाज उनकी पहचान से जुड़ा हुआ है. तालियों का खास मतलब भी होता है. जानिए, क्या है ये किन्नर ताली.
ताली की खास आवाज और बजाने के तरीके से एक किन्नर, दूसरे की पहचान कर लेता है. अक्सर किन्नर स्त्रियों के कपड़ों में होते हैं लेकिन कई बार वे पुरुषों की पोशाक में भी होते हैं. ऐसे में अपनी बिरादरी के लोगों से घुलने-मिलने के लिए उन्हें ताली बजाकर अपने असल होने का सबूत देना होता है. वैसे तो किन्नर शादी-ब्याह या जन्मोत्सव जैसे मौकों पर ही अचानक घर पहुंच जाते हैं और ताली बजाकर खुशी का इजहार करते हैं लेकिन अपने समुदाय में वे ताली के जरिए भी भावनाएं जाहिर करते हैं. गुस्सा होने या खुशी में वे बात करते हुए ताली बजाते जाते हैं.
किन्नरों के ताली बजाने का अपना तरीका होता है. आम ताली में दोनों हाथ वर्टिकल या हॉरिजॉन्टल होते हैं और उंगलियां आपस में लगभग जुड़ी होती हैं. वहीं किन्नर जब ताली बजाते हैं तो एक हाथ वर्टिकल और एक हॉरिजॉन्टल तरीके से आपस में जुड़ता है और उंगलियां एकदम दूर-दूर होती हैं. इस ताली से खास तरह की आवाज निकलती है जो काफी ऊंची होती है.
कुछ सालों पहले समाजवादी पार्टी के नेता विशंभर प्रसाद निषाद का एक बयान काफी विवादों में रहा था. उन्होंने कहा था कि किन्नर कभी बीमार नहीं पड़ते क्योंकि वे ताली बजाते हैं. मैंने कभी किसी किन्नर को अस्पताल में इलाज कराते नहीं देखा. ताली उनके लिए एक्युप्रेशर थैरेपी है जो बाकी लोगों को भी अपनानी चाहिए.
किन्नर समुदाय के बारे में काफी सारी बातें हैं, जो दूसरों से अलग हैं. जैसे यहां किसी नए किन्नर को समाज में शामिल करने के लिए काफी रीति-रिवाज होते हैं. नए किन्नर की शारीरिक और मानसिक अवस्था जांचकर पक्का किया जाता है कि वो किन्नर समुदाय से जुड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है. उसके बाद शामिल होने पर बाकायदा भोज और नाच-गाना भी होता है.
ज्यादातर किन्नर उत्सवों में जाकर और दुआएं देकर कमाई करते हैं. हालांकि अब समाज की मुख्यधारा में स्वीकार्यता बढ़ी है और वे नौकरी भी करने लगे हैं लेकिन ऐसे लोग बहुत कम हैं. किन्नर मिल-जुलकर परिवार की तरह रहते हैं और अपने सबसे अनुभवी किन्नर को गुरु मानते हैं. यही गुरु परिवार की व्यवस्था बनाए रखता है. पैसों का लेनदेन और खर्च जैसे काम भी इसी गुरु के कहने पर होते हैं.