नासा (NASA) ने अपने इस समय अमेरिका की स्पेस एजेंसी, नासा की प्राथमिकता चंद्रमा के लिए अपने आर्टिमिस मिशन की तैयारी है. नासा साल 2024 तक एक पुरुष और पहली महिला को चंद्रमा पर पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. इससे पहले अगले साल नासा को आर्टिमिस 1 का प्रपेक्षण करेगा, इसके लिए नासा ने स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट के पहले हिस्से का मोबाइल लॉन्चर पर लगा दिया है. आर्टिमस 1 बिना किसी इंसान के SLS रॉकेट और ओरियोन अंतरिक्ष यान (Orion Spacecraft) का एक संयुक्त सिस्टम होगा जो चंद्रमा के लिए जाने वाले यात्रियों की उड़ान पहले की परीक्षण उड़ान होगी. (तस्वीर: NASA)
स्टैकिंग ऑपरेशन (Stacking Operation) का कार्य पिछले सप्ताह ही शुरू हुआ था जिसमें पहले इंजीनियरों ने बूस्टर (Booster) हिस्से को रोटेशन, प्रोसेसिंग औरसर्ज फैसिलिटी से 525 फुट लंबे व्हीकल असेंबसी बिल्डिंग (VAB) में पहुंचाया. हर बूस्टर के पांच हिस्से होते हैं और वे 70 लाख पाउंड का बल लगाएंगे जिससे फ्लोरीडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 39B से लिफ्टऑफ हो सके यानि की प्रक्षेपण की शुरुआत हो सके. (तस्वीर: NASA/Kim Shiflett)
हर बूस्टर (Booster) की एक आधे फुटबॉल के मैदान के बराबर है. वे एक साथ इतना सारा बल (Thrust) लगाएंगे जो 14 चार इंजन वाले जंबो व्यवसायिक एयरलाइनर के बल के बराबर होगा. एक बार जुड़ने के बाद SLS रॉकेट स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी लंबा होगा. इसके प्रक्षेपण के लिए अपोलो प्रोग्राम के सैटर्न 5 से 15 प्रतिशत ज्यादा बल लगेगा. इस तरह यह नासा (NASA) का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट होगा. (तस्वीर: NASA/Kim Shiflett)
नासा (NASA) के आर्टिमिस कार्यक्रम (Artemis Programme) के लिए काम करने वाली कंपनी जैकब्स के इंटीग्रेटेड ऑपरेशन्स फ्लो के मैनेजर एंड्रयू श्रोबल ने बताया, “SLS रॉकेट के पहले हिस्सों को मोबाइल लॉन्चर (Mobile Launcher) से जोड़ना आर्टिमिस कार्यक्रम में एक बड़ा और अहम पड़ाव है. इससे पता चलता है कि मिशन वास्तविक आकार लेने लगा है. जल्दी ही यह लॉन्च पैड के लिए रवाना होगा.” सॉलिड रॉकेट बूस्टर्स एसएलएस रॉकेट में लगने वाले पहले हिस्से होंगे और रॉकेट के बाकी हिस्सों और ओरियन अंतरिक्ष यान को सपोर्ट करेगें. (तस्वीर: @NASAGroundSys)
अगले कई सप्ताह तक कर्माचरी ओवरहेड क्रेन का उपोयग कर बचे हुए हिस्सों को उठा कर एक के ऊपर एक मोबाइल लॉन्चर (Mobile Launcher) पर रखेंगे. यह मोबाइल टॉवर 380 फुट ऊंचा है. इसी पर पूरा रॉकेट रखा जाएगा जिससे एसएलएस रॉकेट (SLS Rocket) प्रक्षेपित किया जाएगा. आर्टिमिस 1 में कोई यात्री नहीं होगा, जबकि आर्टिमिस 2 में ओरियन (Orion)अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के चक्कर लगाकर लौटा लाएगा. इसके बाद अंतिम मिशन में पहली महिला और अगला पुरुष यात्री चंद्रमा पर जाएंगे. (तस्वीर: NASA)
इसके बाद नासा (NASA) के चंद्रमा (Moon) के लिए अन्य अभियान मंगल (Mars) के अभियानों की तैयारी का हिस्सा होंगे. इसके साथ ही चंद्रमा पर बेसकैम्प (Basecamp) बनाने के प्रयास भी इसी दौरान किए जाएंगे. SLS और ओरियन अब आने वाले नासा के लंबे अभियानों का हिस्सा होने वाले हैं. नासा की योजना है कि अगले दशक में जब अंतरिक्ष यात्रियों को वह मंगल ग्रह पर भेजे तो वे लौटते समय चंद्रमा पर नासा के बेस कैम्प पर रुकें. (तस्वीर: NASA)
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