न्यूजीलैंड में नदी प्रवाहों में बदलाव पूरी दुनिया के लिए जल प्रबंधन के लिए एक बड़ा संदेश है. यहां के उत्तरी द्वीपों में भारी वर्षा और सर्दियों में हर क्षेत्र में आए प्रवाह बदलाव बता रहे हैं दुनिया में जहां जहां आबादी नदियों के प्रवाह पर बहुत अधिक निर्भर उनका फिर से आंकलन करने की जरूरत है.
जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के मौसमों को ही नहीं बल्कि उसके भूगोल को भी प्राभवित कर रहा है. नदियों का प्रवाह भी इससे अछूता नहीं रह गया है. दुनिया के कई बड़े शहरों की अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि पूरा का पूरा जीवन ही नदियों पर निर्भर रहता है. इस लिहाज से न्यूजीलैंड की नदियों के प्रवाह पर नया अध्ययन बहुत उपयोगी हो सकता है. इसमें पाया गया है कि न्यूजीलैंड में पिछले 50 से 90 सालों में जलवायु में आए बदलाव ने गर्मियों और सर्दियों के नदी प्रवाहों में नाटकीय बदलाव आया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
वेलिंगटन और NIWA विक्टोरिया यूनिवर्सिटी टी हेरेंगा वाका द्वारा किए गए शोध के नतीजे जर्नल ऑफ हाइड्रोमीटरोलॉजी में स्पैटियोटेम्पोरल ट्रेंड्स इन नियर नेचुरल न्यूजीलैंड रिवर फ्लो नाम का शोधपत्र में प्रकाशित हुए हैं. जहां गर्मियों में उत्तरी द्वीपों के हिस्सों में बहुत ज्यादा बारिश देखने को मिली. लंबे समय के चलन दर्शाते हैं कि गर्मियों के औसत नदी प्रवाहों में कमी देखने को मिल रही है और वे इलाके और ज्यादा सूखे हो सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
अध्ययन के प्रमुख लेखिका लॉरा क्वीन का कहना है कि गर्मियों में नदी प्रवाह उत्तरी द्वीपों के बहुत से हिस्सों में काफी कम हो गए हैं जबकि सर्दियों में वहीं उसमें कमी तो देखने को मिली है, लेकिन दक्षिणी द्वीप के पश्चिमी तट पर और फियोर्डलैंड और साउथलैंड में यह प्रवाह काफी बढ़ गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने ये चलन जलवायु में विविधता के नतीजे के तौर पर पाए हैं. इसमें अल नीनो और ला नीना जैसे जलवायु चक्रों के प्रभाव भी शामिल हैं जो विशेष तौर पर प्रशांत महासागर से ही शुरू होते हैं. साथ ही वे यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इसमें मानव प्रभाव सहित विभिन्न कारकों की क्या भूमिका है. मानवीय प्रभाव से तापमान, वायुमंडलीय नमी और वायु संचार के प्रारूपों में इजाफा हो रहा है. इन सबका असर न्यूजीलैंड में हो रहा है जिससे नदी के प्रवाह प्रभावित हो रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
यहां तक कि उत्तरी द्वीप के ऊपर के इलाकों में जहां औसत नदी प्रवाह कम हो रहे हैं, वैज्ञानिक अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि वहां कम समय में भारी बारिश और बाढ़ आएगी जैसा कि पिछली गर्मी में देखने को मिला था. दक्षिणी द्वीप में दक्षिणी तूफान पश्चिमी तट पर बारिश में इजाफा कर रहे हैं इससे इलाके के नदी प्रवाहों पर असर हो रहा है. वहीं यहां बर्फ के कारण प्रभावित नदी प्रवाहों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
इस अध्ययन में देश के 53 इलाकों के 50 साल के आंकड़ों का उपयोग किया गया जिसमें पानी के प्रवाहों पर सिंचाई, बांध, और वनों की कटाई जैसी गतिविधियों का असर नहीं हुआ था. उद्देश्य जलवायु का नदी के प्रवाहों पर असर की पड़ताल करना था. नदियों का अकेले अध्ययन करने की जगह शोधकर्ताओं ने उनका समूह के तौर पर विश्लेषण किया कि समय के साथ उनमें कैसे बदलाव आया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
अध्ययन में पहचाने गए क्षेत्रीय चलन का पानी के प्रबंधन पर असर देखने को मिलेंगे. जहां सर्दियों में नदी प्रवाह पश्चिम दक्षिणी द्वीपों के हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध प्रबंधन को प्रभावित कर सकेत हैं वहीं उच्च उत्तरी द्वीप में घटते गर्मी और सर्दी के प्रवाह का न्यूजीलैंड के बहुत घनी आबादी वाले इलाकों में पानी की उपलब्धता पर भी असर देखने को मिलेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
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