डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति थे. उन्हें 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे. 24 जनवरी 1950 को ही 'जन गण मन' को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था. लेकिन 25 जनवरी की रात को ही राजेंद्र प्रसाद की बहन भगवती देवी का निधन हो गया था. वे 1952 और 1957 में लगातार 2 बार चुने गए, और यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत इकलौते राष्ट्रपति बने.
उनके बड़े बेटे- डॉ. प्रसाद के परिवार से कोई उस तरह कभी राजनीति में नहीं रहा. डॉ. प्रसाद तीन बेटे थे. बड़े बेटे मृत्युंजय प्रसाद ने पटना स्थित जीवन बीमा निगम से संभागीय प्रबंधक के रूप में अवकाश प्राप्त किया. हां, 1977 में आपातकाल के बाद घोषित चुनाव में अवश्य वे जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े. वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे लेकिन जयप्रकाश नारायण के अनुरोध पर चुनाव में खड़े हुए जीते लेकिन इसके बाद फिर कभी सियासत में सक्रिय नहीं रहे.
बाकी दो बेटे कहां रहे- दूसरे एवं तीसरे बेटे धनंजय प्रसाद व जनार्दन प्रसाद छपरा में लगभग उपेक्षित जिंदगी जीते रहे. थोड़ी-बहुत खेती बाड़ी और एक स्थानीय बस परमिट से आजीविका चलाते थे. राजेंद्र प्रसाद के परिवार तथा किसी भी रिश्तेदार ने उनके पद का लाभ नहीं उठाया. वह खुद नहीं चाहते थे कि उनका कोई नजदीकी रिश्तेदार भी राष्ट्रपति पद की गरिमा पर कोई आंच आने दे.
बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री: राजस्थान में सड़कों पर उतरा समर्थकों का सैलाब, दी चेतावनी, कहा...
विशाखापट्टनम बनने जा रही आंध्र प्रदेश की राजधानी, क्या आपने देखे हैं इस शहर के ये टूरिस्ट स्पॉट
Photos : 150 साल पुराना महू-मोरटक्का मीटर गेज ट्रैक बंद, भावुक कर गया ट्रेन का आखिरी सफर
IND vs NZ, 3rd T20I : पृथ्वी शॉ को मौका देने के लिए इस बैटर की बलि चढ़ाएंगे हार्दिक पंड्या! ऐसा होगा प्लेइंग-11