पाकिस्तान आर्थिक तंगहाली से तो गुजर ही रहा है, साथ ही वहां आंतरिक अपराधों में भी बढ़त दिख रही है. खासकर कराची में सड़कों पर होने वाले अपराध बढ़े हैं, जैसे मोबाइल फोन या जेवरों की चोरी या फिर बाइक या कार लेकर भाग जाना. अब ऐसे ही अपराधियों को पकड़ने के लिए कराची पुलिस ने एक खास योजना अपनाई. वहां महिला अधिकारी रोलर ब्लेड्स पहनकर सड़कों पर निकलेंगी और जैसे ही कोई अपराध करता दिखेगा, तुरंत उसका पीछा कर गिरफ्त में ले लेंगी. सांकेतिक फोटो (flickr)
लगभग 15 मिलियन आबादी के साथ पाकिस्तान का कराची न केवल व्यापार-व्यावसाय का केंद्र है, बल्कि देश के यही हिस्सा सबसे ज्यादा राजस्व भी पैदा करता है. लेकिन इस शहर का एक पहलू ये भी है कि ये साथ-साथ में अपराध का केंद्र बन चुका है, जहां दुनिया के सबसे ज्यादा मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों के तार जुड़े हैं. यही सब देखते हुए अब पाकिस्तान सरकार कराची में 20 स्केटिंग कमांडो की तैनाती कर चुकी है, जिनमें से 10 लड़कियां हैं. सांकेतिक फोटो (flickr)
इसी महीने इनका काम शुरू हुआ है और उम्मीद की जा रही है कि कराची की थकी हुई पुलिस के विकल्प के तौर पर ये स्केटिंग कमांडो काम करेंगे. भर्ती से पहले ये दस्ता काफी सघन प्रशिक्षण से गुजरा. इन्हें हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग मिली. लेकिन सबसे खास बात है कि तंग और गाड़ियों से भरी सड़कों पर ये तेजी से भाग सकेंगी ताकि पैदल या गाड़ी में भागते अपराधी का पीछा कर सकें. इन कमांडों के साथ कार या मोटरबाइक पर पेट्रोलिंग यूनिट भी होगी ताकि जरूरत पर मदद मिल सके. सांकेतिक फोटो (flickr)
महिलाओं के मामले में पाकिस्तान जैसे पिछले मुल्क के बारे में ये कल्पना मुश्किल है कि वहां सड़कों पर हथियार लिए लड़कियां फर्राटे से दौड़ें लेकिन महिलाओं को लेकर ये देश पहले भी इस तरह का प्रयोग कर चुका है. साल 2018 में कराची में जब चीनी वाणिज्यिक दूतावास पर चरमपंथियों ने हमला किया तब एक महिला कमांडो सुहाई अजीज तालपुर ने जिस तरह बहादुरी दिखाई, उससे वो पूरे पाकिस्तान में चर्चाओं में आ गई थीं. सांकेतिक फोटो (pxhere)
यहां पर महिला कमांडो की संख्या तेजी से बढ़ी है. जो जबरदस्त तरीके से जांबाज साबित हो रही हैं. वॉइस ऑफ अमेरिका के उर्दू डिवीजन के मुताबिक साल 2018 में लगभग 600 महिला कमांडो की पंजाब पुलिस में नियुक्ति हुई. ख़ैबर पख़्तूनख्वा के नौशेरा में इनकी सख्त ट्रेनिंग हुई, जिसमें मुश्किल हालात का सामना करने से लेकर हथियार और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी गई. इनमें से बहुतेरी महिलाएं उन घरों से आती हैं, जहां पर औरतों का बाहर निकलना तो दूर उनकी पढ़ाई-लिखाई भी नहीं कराई जाती. सांकेतिक फोटो (pixabay)
पाकिस्तान में महिलाओं के फोर्स से जुड़ने का इतिहास बहुत पुराना है. साल 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के प्रयासों से रावलपिंडी में पहला महिला थाना बना बना. जहां से ये पेशावर, कराची और लरकाना और फिर पूरे देश में फैल गया. हालांकि आतंकवाद निरोधक दस्ते में महिलाओं की नियुक्ति बहुत बाद में नवंबर 2014 से होनी शुरू हुई, तब से सिलसिला चल निकला. सांकेतिक फोटो (pixabay)