देश आज 73वां गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) मना रहा है. साल 1950 में देशभर में आज ही के दिन संविधान (constitution) लागू हुआ था जिससे देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया था. 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस के रूप में चुनने की वजह थी. देश के नेताओं ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की अध्यक्षता में आज ही के दिन 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया था और तय किया था कि देश अगले साल से यानि 26 जनवरी 1930 को पहला स्वतंत्रता दिवस बनाएगा. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
अंग्रेजों से आजादी (Freedom) हासिल करना आसान काम नहीं था. देश में सबसे स्वराज (Swaraj) की मांग 1886 में ही दादा भाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) ने कांग्रेस के कलकत्ता राष्ट्रीय अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में की थी. तब उन्होंने इसे राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य रखा था और कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की ही तरह स्वायत्त शासन की मांग रखी थी. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इसके बाद 1907 में सर अरबिंदों (Sri Aurobindo) ने अपने अखबार, बंदे मातरम में पूर्ण स्वराज का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रवाद की नई पीढ़ी पूर्ण स्वराज (Poorna Swaraj) से कम कुछ भी नहीं मानेगी.इसमें उन्हें बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) का साथ मिला. इसके बाद तिलक, एनी बेसेंट और अन्य नेताओं के प्रयास से होम रूल आंदोलन चला जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य के अंदर ही ऑस्ट्रेलिया, कनाडा,आयरिश फ्री स्टेट, न्यूजीलैंड साउथ अफ्रीका आदि को डोमिनियर स्टेटसकी पैरवी की गई थी. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) में भी यह बहस का प्रमुख विषय रहा. 1921 में कांग्रेस नेता और प्रसिद्ध कवि हसरत मोहिनी ने कांग्रेस के सभी फोरम में सबसे पहले संपूर्ण स्वतंत्रता यानि पूर्ण स्वराज की धारणा दी. वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak), श्री अरबिंदो और बिपिन चंद्र पाल ने साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की पैरवी की थी. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इसी बीच अंग्रेजों से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष हर रूप में जारी रहा.1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद 1920 में गांधी जी (Gandhiji) और कांग्रेस (Congress) ने स्वराज का संकल्प लिया जिसमें राजनैतिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता की बात की. उस समय गांधी जी ने इसके बारे में बताते हुए कहा था कि क्या भारत (India) ब्रिटिश साम्राज्य में रहेगा या नहीं यह पूरी तरह से अंग्रेजों के बर्ताव और उनकी प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करेगा. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
1920 और 1922 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने रोलैट एक्ट के विरोध में असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया. इसके अलावा उन्होंने सरकार में भारतीयों (Indians) को शामिल ना करने और राजनैतिक और नागरिक आजादी को खारिज करने का विरोध किया. इसके बाद जब साइमन कमीशन (Simon Commission) का ऐलान कया गया तो विरोध का आधार यह बना कि इसमें एक भी भारतीय नहीं था. कहा गया कि भारतीयों के संवैधानिक और राजनैतिक सुधार केवल विदेशी कैसे ले सकते हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
साइमन कमीशन का विरोध और लाला लाजपत राय (Lala lajpat Rai)की विरोध के दौरान लाठीचार्ज की वजह से हुई मौत ने देश में रोष भर दिया. साइमन कमीशन के जवाब में कांग्रेस मोतीलाल नेहरू (Motilal Nehru) की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जो नेहरू रिपोर्ट (Nehru Report) के नाम से मशहूर हुई. इस रिपोर्ट में ब्रिटिश साम्राज्य के तहत ही भारत को स्वशासन देने की मांग की. इसका कांग्रेस में ही विरोध हुआ और अंग्रेजों ने इसे खारिज कर दिया. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इसके बाद 26 जनवरी 1929 के लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की अध्यक्षता में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया और 26 जनवरी 1930 से हर साल देश में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाने का संकल्प लिया गया और उस दिन यह दिन मनाया भी गया. इसके बाद से पूर्ण स्वराज की मांग स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा होता गया और जब भारतीय संविधान (Indian Constitution) को अपनाने की बात आई तो 26 जनवरी के एतिहासिक महत्व को देखते हुए 26 जनवरी 1950 का दिन तय किया गया. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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