इसी 10 दिसंबर को देश में नए संसद भवन की नींव रखी जा रही है. इसे वास्तु के अलावा हर लिहाज से बेहतरीन बनाने की कोशिश है. इसके लिए वास्तुविदों ने कई देशों की संसद का निरीक्षण किया और प्रेरणा ली. वैसे दुनिया में कई पार्लियामेंट हाउस हैं जो दिखने में भी बेहद आकर्षक हैं और साथ ही साथ सुविधायुक्त भी हैं. इनमें उस देश की संसद भी शामिल है, जिसने लगभग सारी दुनिया पर राज किया, यानी ब्रिटिश संसद. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
ब्रिटेन का पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर दुनिया के सभी संसदों का मूल माना जाता है. इसे चार्ल्स बेरी और अगस्टस वेल्बी पुगिन ने डिजाइन किया था. थेम्स नदी के किनारे बने इस पार्लियामेंट हाउस की खूबसूरती दुनियाभर के सैलानियों को अपनी ओर खींचती है. इसमें मूलतः तीन टावर बने हुए हैं, जो एलिजाबेथ टावर, न्यू पैलेस और हाउस ऑफ कॉमन्स के नाम से जाने जाते हैं. ये गोथिक शैली में बने हुए हैं, जो यूरोपीय इमारतों की खासियत है. अपने इतिहास और बनावट के कारण साल 1987 से यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है. थेम्स नदी के पास बने इस पार्लियामेंट हाउस के आसपास कई सारे पार्क और रेस्त्रां भी हैं, जहां लगातार सैलानी आते रहते हैं.
श्रीलंका का संसद भवन भी दुनिया के बेहतरीन पार्लियामेंट हाउसेज में गिना जाता है. दूसरे संसद भवनों की अपेक्षा इसके निर्माण में केवल चार ही साल लगे और साल 1979 से लेकर 1982 के बीच ये बनकर पूरा हो गया. जोफ्री बावा नाम के श्रीलंकन वास्तुविद ने इसका नक्शा बनाया. इसमें श्रीलंकन बौद्ध इमारतों के अलावा काफी मॉर्डन छाप भी है. संसद भवन में सारे दरवाजे चांदी से चमकीले हैं. भवन की आंतरिक बनावट ब्रिटिश संसद की तरह है. लेकिन इस संसद की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह एक झील के पास बनी है, जहां से लगातार प्रकृति का नजारा दिखता है.
दिलचस्प बात है कि एशियाई देशों की संसद खूबसूरती के लिहाज से काफी ऊपर रखी जाती रही हैं. इनमें से एक नाम बांग्लादेश की संसद का भी है. ढाका में बना ये पार्लियामेंट हाउस एक आर्टिफिशियल झील के किनारे बनाया गया. साल 1961 से इसका निर्माण शुरू हुआ तो बनने में 10 साल लगे. बाहर से दिखने में ये एक इमारत लगती है लेकिन भीतर 8 इमारतें आपस में जुड़ी हुई हैं. एस्टोनियन अमेरिकी मूल के वास्तुविद लुइस कह्न ने इसका नक्शा तैयार किया, जो मूलतः स्कॉटलैंड के किलों से प्रेरित है.
यूरोपियन देश रोमानिया में संसद भवन के लिए साल 1984-97 तक निर्माण चला. ये दुनिया के सबसे बड़े और मजबूत पार्लियामेंट भवनों में से है. बुखारेस्ट में बनी ये इमारत वास्तुकार एन्का पेट्रिशिया के दिमाग की उपज है. जब उन्होंने तानाशाह Nicolae Ceausescu के कहने पर इमारत का नक्शा तैयार करना शुरू किया, तब वे महज 32 साल की थीं. ये अपने-आप में रिकॉर्ड है क्योंकि आमतौर पर संसद भवन का नक्शा बनाने वाले लोग काफी उम्रदराज रहे. भवन बनाने के लिए 20000 सैनिकों और कैदियों ने दिन-रात काम किया, तब जाकर यहां की भव्य इमारत बन सकी. इसका भीतर का हिस्सा संगमरमर से बना है. साथ ही यहां 8 खुफिया सुरंगें भी हैं ताकि आपात स्थिति में सांसद निकल सकें.
स्कॉटलैंड का संसद भवन भी बेहद खूबसूरत है. साल 1999-2004 के बीच बना ये भवन काफी विवादित भी रहा क्योंकि इसपर खुलकर पैसे खर्च हुए. कई इमारतों से बने इस भवन की खासियत है कि सारे भवन एक-दूसरे से एकदम ही अलग हैं. ये बाहर और भीतर से इतने अलग हैं कि इन्हें एक कैंपस से हटाने पर एक देश का भी नहीं सोचा जा सकता. वास्तुविद एनरिक मिरालस ने इसका नक्शा बनाया था लेकिन नक्शा तैयार होने के साथ ही उनकी मौत हो गई. हालांकि नक्शे में बिना फेरबदल उसे वैसे का वैसा उकेर दिया गया.
फिनलैंड का पार्लियामेंट हाउस इस देश की मजबूती को दिखाता है. साल 1917 में ही ये देश रूस से आजाद हुआ और इसके साथ ही इसने अर्थव्यवस्था में खुद को स्थापित करना शुरू कर दिया. हेलसिंकी में बना यहां का संसद भवन भी देश की मजबूती से मिलता-जुलता है. ये गुलाबी और धूसर सफेद रंग की ठोस इमारत है, जो ग्रेनाइट पत्थरों से बनी है. हालांकि इमारत के भीतर रंगों का काफी शानदार प्रयोग है. भीतर वो जगह भी है, जहां साल 1907 में दुनिया की पहली महिला MPs ने वोट किया था. यहां पर एक नग्न मूर्ति है, जो फिनिश मजबूती को दिखाती है.
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