तेलुगु फिल्मों के लोकप्रिय हीरो एनटी रामा राव आंध्र प्रदेश की राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरे थे. उन्होंने तेलुगुदेशम के नाम से अपनी ऩई राजनीतिक पार्टी बनाई. फिर 1984 में भारी बहुमत से जीतकर आंध्र प्रदेश में अपनी सरकार बनाई. एनटी रामा राव की 18 जनवरी को पुण्यतिथि है. एटीआर कुछ ही सालों में दक्षिण भारत के शीर्ष नेताओं में शुमार हो गए. वो राष्ट्रीय राजनीति में आने के साथ प्रधानमंत्री बनने की इच्छा भी पाले हुए थे.
जेडीयू के सीनियर लीडर केसी त्यागी ने एक हिंदी राष्ट्रीय अखबार में उन पर एक लेख लिखा कि पीएम बनने के लिए उन्होंने किस तरह एक ज्योतिषी के कहने पर अजीबोगरीब काम किया था. त्य़ागी ने अपने लेख में लिखा है कि उन दिनों आम चर्चा थी कि किसी ज्योतिषी के कहने पर वो रात में स्त्री वस्त्र भी धारण करने लगे थे. साथ ही हिन्दी सीखने के लिए उन्होंने हैदराबाद के अपने आवास पर हिन्दी के दो शिक्षक रख लिए थे.
एनटी रामा राव 28 मई 1923 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे. तब ये मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. उनके अभिभावक किसान थे. बाद में उन्हें उनके मामा ने गोद ले लिया. जिस साल देश को आजादी मिली, उसी साल उन्हें मद्रास सर्विस कमीशन में सब रजिस्ट्रार की बढ़िया नौकरी मिली. लेकिन एक्टिंग में करियर बनाने के चलते उन्होंने केवल तीन हफ्ते में ये नौकरी छोड़ दी.
कहा जाता है कि एनटीआर का स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग के प्रति झुकाव था. स्कूल में उन्होंने जो पहला प्ले किया, उसमें वो महिला बने थे. 1949 में माना देशम नाम की उनकी जो पहली फिल्म आई, उसमें वो पुलिस अफसर बने. NTR ने ज्यादातर धर्म आधारित फिल्मों में ही काम किया. इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने 17 फिल्मों में कृष्ण का किरदार निभाया था.
उनके बारे में एक घटना बाद में बहुत मशहूर हुई. 1984 में जब राज्यपाल रामलाल ने उनकी सरकार गिराकर एक अल्पमत सरकार बनवाई तो एनटीआर ने राष्ट्रपति जैल सिंह के साथ विधायकों को मिलाने का फैसला किया. जैल सिंह ने उन्हें समय दे दिया. तब आज की तरह अतिरिक्त जहाज की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. लिहाजा विधायकों का समूह ट्रेन से दिल्ली रवाना हुआ. इससे दिल्ली की हुकूमत विचलित हो गई. ट्रेन की स्पीड घटाकर 20 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई. ट्रेन 10 घंटे देर से दिल्ली पहुंची. राष्ट्रपति से मुलाकात का समय निकल चुका था. लेकिन प्रेस के दवाब में राष्ट्रपति को एनटीआर और उनके 150 से ज्यादा विधायकों से मिलना पड़ा. एनटीआर खुद व्हीलचेयर पर बैठकर राष्ट्रपति भवन गए. रामलाल को इस्तीफा देना पड़ा. एनटीआर फिर मुख्यमंत्री बने.
उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पढ़ाई के दौरान रामाराव परिवार की मदद करने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध बेचने का काम भी करते थे. 1942 में उन्होंने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह किया. उन्होंने दो विवाह किए थे. कुल मिलाकर उनकी 12 संतानें थीं. इसमें आठ बेटे और चार बेटियां थीं. सन 1993 में 70 साल की उम्र में रामा राव ने तेलुगु लेखक ‘लक्ष्मी पार्वती’ से फिर शादी की लेकिन एनटीआर के परिवार ने लक्ष्मी को कभी स्वीकार नहीं किया.
वर्ष 1989 के चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के कारण तेलुगु देशम पार्टी चुनाव हार गई. कांग्रेस फिर सत्ता में वापस आ गई. सन 1994 में एनटी रामा राव दोबारा सत्ता में लौटे. उनकी तेलुगु देशम पार्टी की 226 सीटों पर जीत हुई. इस बार एनटी रामा राव महज 9 महीने के लिए ही मुख्यमंत्री पद रह पाए क्योंकि उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी के अंदर भीतरघात कर रामा राव को पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद से हटा दिया.
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