जहां एक ओर इंसान महासागरों (Oceans) में हर जगह पहुंच नहीं बना सका है, वहीं आज दुनिया का 80 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार समुद्र के रास्ते होता है. विशाल जहाजों में का आवागमन निश्चित समुद्री रास्तों के जरिए होता है जिन्हें समुद्री महामार्ग (Marine Highways) कहा जाता है. ये रास्ते समुद्र में रहने वाले उन जानवरों को लिए खतराक होते हैं जो इनका अपने विशेष कार्यों के लिए उपयोग करते हैं. व्हेल और शार्क (Whales and Sharks) जैसे जीव इसकी वजह से मारे जा रहे हैं क्योंकि ये काफी लंबे तक इन्हीं रास्तों की सतह पर होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
नए अध्ययन में पाया गया है कि यह खतरा दुनिया की सबसे बड़ी मछलियों, व्हेल शार्क (Whale Sharks) के लिए मौत का बड़ा कारण बनता जा रहा है. व्हेल शार्क की लंबाई 20 मीटर तक हो सकती है. इतनी बड़ी और ताकतवर होने के बाद भी पिछले 75सालों में उनकी आबादी (Population of Whale Sharks) आधी रह गई है. साल 2016 में उन्हें संकटग्रस्त शार्क प्रजातियों (Endangered Shark Species) में शामिल किया गया था. दूसरी अन्य प्रजातियों की तरह खुले समुद्र घूमने वाली शार्क भी मछली उद्योगों के बेड़ों की शिकार हो जाती हैं. लेकिन यह उनके कम होने की प्रमुख वजह नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
व्हेल शार्क (Whale Sharks) का शिकार अब लगभग बंद कर दिया गया है. इसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध भी असर कारक है. लेकिन समुद्री नौपरिवहन के बहुत से कारण हैं जो व्हेल शार्क के मौत के छिप हुए कारण बने हुए हैं. व्हेल शार्क अपना बहुत सारा समय महासागरों की सतह (Surface of Oceans) के ठीक नीचे ही बिताती हैं जिसमें वे सूक्ष्म प्राणि प्लवक (Zooplankton) के रूप में अपना भोजन करते हैं. इस वजह से वे सीधे जहाजों के रास्ते में आ जाते हैं. ऐसे में किसी बड़े जहाज से कोई व्हेल शार्क टकरा जाए तो उसके बचने की संभावना कम ही होती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
जहाजों से व्हेल शार्क (Whale Sharks) के टकराने की घटनाओं की जानकार हासिल करना भी बहुत मुश्किल है. इससे पहले प्रत्यक्षदर्शियों, न्यूज रिपोर्ट आदि से ही व्हेल शार्क के घायल होने या मरने का पता चलता था. इसके लिए 60 वैज्ञानिकों की टीम ने 18 देशों में व्हेल शार्कों की मौत की जानकारी जुटाना शुरू किया. ग्लोबल शार्क मूवमेंट प्रोजोक्ट (Global Shark Movement Project) में सैटेलाइट के जरिए 350 व्हेल शार्क की गतिविधियों की जानकारी का रिकॉर्ड रखने का प्रयास किया गया. शोधकर्ताओं ने इसके साथ शिपिंग ट्रैकिंग सिस्टम (Shipping Tracking System) की भी जानकारी ली. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि व्हेल शार्क (Whale Sharks) की क्षैतिज स्थानों का 92 प्रतिशत और गहराई वाला 50 प्रतिशत हिस्सा जहाजी बेड़ों (Shipping) की गतिविधियों से मिलता है. शोधकर्ताओं ने टकराव का जोखिम पता लगाने लिए प्रतिमान बनाए और पाया कि मैक्सिको की खाड़ी, अरब की खाड़ी और लाल सागर में व्हेल शार्क के जीवन पर सबसे ज्यादा खतरा है. ये इलाके व्हेल शार्क के घर हैं और साथ ही दुनिया के व्यस्ततम समुद्री रास्ते (Marine Highway) भी यहीं हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ज्यादा जोखिम भरे इलाकों में व्हेल शार्क (Whale Sharks) जहाजों के रास्ते नियमित रूप से काटा करती हैं. ऐसे समय में वे अपने तैरने (Swimming) की गति 10 गुना ज्यादा तेज कर लेती हैं. इसकी वजह से शार्क को बचने का मौका कम मिल पाता है. और वे सामने आते हुए जहाजों (Ships) को देख कर प्रतिक्रिया कम दे पात हैं. देखा ये गया है कि व्हेल शार्क की अंत व्यस्त रास्तों में उम्मीद से ज्यादा थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
व्हेल शार्क (Whale Sharks) के जीवन को इतना बड़ा खतरा बताता है कि व्हेल शार्क को सुरक्षा कि कितनी जरूरत है. फिलहाल शार्क को बचाने के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय नियामक (International Regulatory) नहीं है जिससे व्हेल शार्क को टकराव (Collision) से रोका जा सके. इससे इनका भविष्य खतरे में पड़ गया है. इंटरनेशनल मैरिटाइम संगठन एकवैश्विक रिपोर्टिंग स्कीम तैयार कर सकता है. जिससे व्हेल शार्क और अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों को टकराव की पूरी जानकारी मिल सके. इससे स्थानीय स्तर पर तुरंत ही जरूरी कदम उठाने में मदद मिलेगी. . (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
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