बताया जा चुका कि भारत में सबसे पहले दो वैक्सीनों को मंज़ूरी मिली है, जिनमें से एक ऑक्सफोर्ड व एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट में निर्मित वैक्सीन (Serum Institute Vaccine Covishield) कोविशील्ड है और दूसरी भारत बायोटेक कंपनी की कोवैक्सिन (Covaxin). इसके अलावा दुनिया भर में फाइज़र (PFizer), मॉडर्ना (Moderna) और स्पूतनिक जैसी वैक्सीन लगातार चर्चा में हैं. कहा जा रहा है इनमें से कुछ और को भारत में मंज़ूरी (India Approves Vaccines) मिल सकती है. जानिए कि वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट्स अगर हैं तो क्या हैं और किस वैक्सीन के कैसे हैं.
कोई भी टीका हो, कुछ सामान्य लक्षण रिएक्शन के तौर पर तो दिखते ही हैं. त्वचा का लाल होना, सूजन, या इंजेक्शन की जगह के आसपास दर्द के साथ ही थकान, हल्का बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण भी सामान्य बात है. इससे घबराना नहीं चाहिए. कुछ गंभीर साइड इफेक्ट्स भी दिखे हैं, लेकिन बहुत कम मामलों में. एलर्जिक शॉक ऐसा ही दुर्लभ लक्षण है. असल में वैक्सीन किस तकनीक से बनाई गई है, टीके के बाद के लक्षण इस पर भी निर्भर करते हैं. वैक्सीन के अनुसार साइड इफेक्ट्स के बारे में जानिए.
फाइज़र वैक्सीन : अमेरिका में फाइज़र और जर्मनी में बायोएनटेक ने BNT162b2 वैक्सीन डेवलप की, जिसके अप्रूवल के दौरान इसके कोई खास साइड इफेक्ट नहीं पाए गए. उम्रदराज़ लोगों को कमज़ोरी महसूस हुई तो ज़्यादातर लोगों ने थकान या सिरदर्द जैसी शिकायत बताई. जबसे इसे टीके के तौर पर दिया गया है, तबसे कुछ मामलों में गंभीर एलर्जी, सांस में तकलीफ जैसी शिकायतें आईं, लेकिन ऐसा काफी कम मामलों में हुआ. पहले से एलर्जी या हाइपर सेंसेटिव शॉक के शिकार लोगों को इस वैक्सीन के बारे में चेतावनी दी गई.
मॉडर्ना वैक्सीन : अमेरिकी कंपनी की mRNA-1273 वैक्सीन भी सैद्धांतिक तौर पर तकरीबन फाइज़र बायोएनटेक की वैक्सीन जैसी है. ट्रायल्स में इसके सामान्य इफेक्ट्स ही नज़र आए. फाइज़र वैक्सीन की तरह ही इसके टीके लगने के बाद भी बहुत कम मामलों में एलर्जी रिएक्शन की शिकायतें रहीं तो गिने चुने मामलों में चेहरे की नसों में पैरालिसिस की शिकायत भी आई. इस बारे में कहा गया कि ये साइड इफेक्ट्स वैक्सीन के mRNA की वजह से नहीं बल्कि शरीर में प्रतिक्रिया करवाने वाले नैनोपार्टिकलों की वजह से हुए हों, यह संभव है.
एस्ट्राज़ेनेका/ऑक्सफोर्ड वैक्सीन : यह वैक्सीन ट्रायलों के समय सितंबर में इसलिए चर्चा में थी क्योंकि एक मरीज़ को रीढ़ की हड्डी में तकलीफ हुई थी. इसके ट्रायल को कुछ समय के लिए रोकना भी पड़ा था. उसके बाद कुछ संशोधन किए गए और तबसे मसल पेन, सिरदर्द और थकान जैसे ही लक्षण इस वैक्सीन को लेने के बाद देखे गए. इस वेक्टर वैक्सीन के रिएक्शन उम्रदराज़ों में भी मामूली और कम ही देखे गए हैं.
स्पूतनिक V वैक्सीन : रूस में डेवलप वेक्टर वैक्सीन को तीसरे फेज़ के ट्रायल से पहले ही इस्तेमाल किए जाने से विवाद खड़ा हुआ था. डैश विले की मानें तो इसके डेटा में हेराफेरी को लेकर भी सवाल खड़े हैं. इसके बावजूद, रूस के अलावा भारत समेत अन्य देशों में वैक्सीन दी जा रही है. रूस में 8 लाख लोगों को दी जा चुकी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को रूसी मंत्रालय ने मामूली बताया तो अर्जेंंटीना में 32 हज़ार में से 317 मामलों में साइड इफेक्ट्स दिखे. वहीं, रूस के 52% डॉक्टरों ने यह वैक्सीन लेने से मना कर दिया.
क्या निकला निष्कर्ष : टीके के साइड इफेक्ट्स का डेटा एकदम कंपलीट नहीं है, जितना है, कुछ ही हफ्तों का है. अभी इसके लॉंग टर्म इफेक्ट्स के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. दूसरी तरफ, हर टीके के कुछ जोखिम हमेशा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक अप्रूवल की प्रक्रिया में देखा जाता है कि जोखिम की तुलना में लाभ कैसे और कितने हैं. जर्मनी के उदाहरण से समझें कि कोरोना से एक उम्रदराज़ की मौत के चांस अगर 20% हों और वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट का चांस 50,000 में से 1 को हो, तो यह जोखिम उठाने लायक है.
Photos: दिल्ली में किसानों का जमकर हंगामा, पुलिस से कई जगह झड़प
Republic Day: आसमान में दिखी भारत की ताकत, राफेल समेत गरजे कई विमान
Republic Day 2021: लद्दाख में माइनस 25 डिग्री तापमान में ITBP जवानों ने मनाया गणतंत्र दिवस
वरुण धवन और नताशा की इन तस्वीरों को कहीं आपने तो नहीं कर दिया मिस, देखें Unseen Pics