कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati) के 12वें सीजन में एक सवाल पूछा गया- धरती की वो जगह, जो जमीन के सबसे दूर स्थित है, वो किसी भारतीय मूल के काल्पनिक फिक्शन चरित्र का नाम है. इसके लिए सुझाए गए चार विकल्पों में से एक था- पॉइंट निमो. यही सही जवाब है. ये जगह धरती की सबसे अकेली जगह मानी जाती है. इसे समुद्र का केंद्र भी कहा जाता है, जहां से सबसे पास की धरती तक पहुंचना आसान नहीं है. जानिए, क्या है पॉइंट निमो और क्यों ये दुनिया की सबसे अकेली जगह मानी जाती है.
सांकेतिक फोटो (Pixabay)
निमो शब्द लैटिन भाषा से है, जिसके मायने हैं- कोई नहीं. जब किसी जगह को निमो पॉइंट कहा जाता है तो इसका अर्थ है कि वहां कोई नहीं रहता. ये जगह सूखी जमीन से सबसे दूर की जगह होती है, यानी समुद्र के बीचोंबीच. इसे समुद्र का केंद्र भी माना जाता है. ये जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है. निमो पॉइंट किसी खास देश की सीमा में नहीं आता, बल्कि इसके सबसे करीब के द्वीप को भी देखना चाहें तो वो लगभग 2,688 किलोमीटर की दूरी पर है.
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किसी खास देश का अधिकार न होने के कारण निमो पॉइंट का बड़ा ही अलग ढंग का इस्तेमाल होता है. यहां पर स्पेस जाने के दौरान या वहां खराब हुई सैटेलाइट या फिर उसका ईंधन गिराया जाता है. ये ढेर इतना ज्यादा है कि इसे धरती पर सैटेलाइटों का कब्रिस्तान कहा जाने लगा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक यहां 100 से भी ज्यादा सैटेलाइट का कबाड़ इकट्ठा किया जा चुका है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
जब सैटेलाइट अपना काम पूरी कर देती है तो वह धरती की कक्षा की ओर खिंचने लगती है, इससे खराब सैटेलाइट के कहीं भी, किसी आबादी वाली जगह तक गिर जाने का डर रहता है. ये काफी खतरनाक हो सकता है. यही वजह है कि सैटेलाइट के मलबे को पॉइंट निमो में गिराया जाता है. रोशनी से काफी गहराई में स्थित इस जगह समुद्री जीव-जंतु भी नहीं के बराबर हैं इसलिए इससे किसी जंतु या वनस्पति के नुकसान को कोई डर नहीं होता है. सांकेतिक फोटो
सबसे पहली बार रूस का सैटेलाइट यहां गिराया गया. यह लगभग 140 टन का था. दशकभर से ज्यादा स्पेस में रहने के बाद जब ये गिराया गया तो उसका मलबा हजारों किलोमीटर दूर तक फैला. पॉइंट नेमो में इसके बाद से कई मलबे डिस्कार्ड किए जा चुके हैं. हर मलबे को गिराने के पहले आधिकारिक चेतावनी भी दी जाती है ताकि एयर ट्रैफिक न रहे. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
वैज्ञानिकों के लिए रहस्यों से भरा पॉइंट नेमो आज से लगभग 27 साल पहले ही आधिकारिक रूप से खोजा गया. एक कनाडियन मूल के सर्वे इंजीनियर Hrvoje Lukatela ने इसका पता लगाया. नब्बे के ही शुरुआती दशक में यहां पर एक तेज आवाज ऑब्जर्व की गई. इस आवाज का रहस्य किसी को समझ नहीं आ रहा था. कुछ वैज्ञानिकों तक ने इसे दूसरी दुनिया की आवाज मान लिया. बाद में आवाज को रिकॉर्ड करने पर समझ आया कि ये आवाज ब्लू व्हेल की आवाज से भी ज्यादा शोर करने वाली थी. द ओशन रेस वेबसाइट की एक रिपोर्ट में यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के हवाले से बताया गया कि आवाज बहुत बड़ी-बड़ी बर्फीली चट्टानों के एक साथ टूटने की है. बर्फ के टूटने पर जो फ्रीक्वेंसी पैदा होता है, वही ये आवाज बन जाती है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
वैसे कैरप्टन निमो एक फंतासी चरित्र भी है, जिसे फ्रेंच उपन्यासकार जूल्स वर्ने ने रचा था. साइंस फिक्शन का ये चरित्र समुद्र के रहस्यों को खोजने का आदी था. काफी लोकप्रिय रह चुके इस चरित्र के बारे में पाठक जानना चाहते थे कि कैप्टन आखिर किस देश का है. बाद में कहा गया वो भारत के एक राजा की संतान है. सांकेतिक फोटो
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