अब तब स्टारलिंक (Starlink) 1300 से ज्यादा सैटेलाइट (Satellite) 20 सफल प्रक्षेपणों में अपनी कक्षा में पहुंच चुके हैं. इरादा दुनिया भर में सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सेवा (Internet Services, पहुंचाने का है, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में जहां ब्रॉडबैंड पहुंच से बाहर है. इसके लिए एक छोटे से सैटेलाइट डिश घर पर लगाना होगा जो एक राउटर से जुड़ेगा. इसके साथ ही स्टारलिंक ऐप के जरिए उपभोक्ता अपनी लिए निकटतम रीसीवर का चुनाव भी कर सकता है. (तस्वीर: shutterstock)
स्टारलिंक (Starlink) सेवा फिलहाल केवल कुछ चुनिंदा इलाकों में ही उपलब्ध है. कंपनी का दावा है कि उसकी ग्राहक संख्या 10 हजार के पार हो चुकी है. कवरेज मैप (Coverage Map) विस्तारित होता रहेगा. मकसद पूरी पृथ्वी (Earth) को सेवा देना है. फिलहाल कंपनी का कहना है कि अगले कुछ महीनों में 50 से 150 एमबीपीएस की गति दी जाएगी जिसमें कई क्षेत्रों में 20 से 40 मिलीसेंकेड की देरी (latency) हो सकती है. वेबसाइट के मुताबिक ऐसे मौके भी आ सकते हैं जब कुछ देर इंटरनेट काम ना करे, लेकिन ज्यादा सैटेलाइट और ग्राउंड स्टेशन के आने से सबकुछ नाटकीय रूप से बदल जाएगा. साल 2021 के अंत तक स्पीड 300 एमबीपीएस हो जाएगी. (तस्वीर: shutterstock)
स्टारलिंक (Starlink) कनेक्शन की कीमत 499 डॉलर है जो कि इंस्टॉलेशन कॉस्ट होगी जो डिश और राउटर के लिए होगी भारत में प्रीबुकिंग (Prebooking) 99 डॉलर यानि 7000 रुपये से ज्यादा की दर पर हो रही है जो लौटाने योग्य राशि है. इसमें टैक्स शामिल नहीं है. बेशक जमीन में बिछी फाइबर ऑप्टिक केबल इंटरनेट की गति सैटेलाइट इंटरनेट बहुत तेज होती है. लेकिन फाइबर की पहुंच इतनी व्यापक नहीं है. इसका दायरा बढ़ाना भी बहुत खर्चीला होता है. (तस्वीर: shutterstock)
एलन मस्क (Elon Musk) मंगल ग्रह (Mars) पर जाने का सपना संजोए हैं और उसके लिए जीतोड़ खर्च भी कर रहे हैं. उनके रीयूजेबल रॉकेट (Reusable Rocket) स्पेस रेस में उन्हें आगे पहुंचा सकता है. मंगल पर कुछ ही सालों में इंसानों की बस्तियां बसाने का संपना संजोए हैं. एक दिन स्पेस एक्स को मंगल पर भी इंटरनेट की जरूरत होगी.स्टारलिंक(Starlink) के सैटेलाइट मंगल के इंटरनेट से भी जुड़ सकेगा. (तस्वीर: shutterstock)
सैटेलाइट (Starlink) संचार में एक समस्या मौसम (Weather) और अन्य बाधाएं होती है. सैटेलाइट (Staellite) के लिए घर पर लगने वाली डिश के रिसीवर (Receiver) पर बर्फ गिरने से रीसीवर बर्फ पिघला सकता है. वहीं तेज हवा या बारिश भी संकेतों में बाधा डालने का कामकर सकते हैं जैसा कि डीटीएच में समस्या आ सकती है. इसके अलावा सैटेलाइट बढ़ने से अंतरिक्षीय अवलोकनों में भी बाधा आ सकती है. इनसे होने वाले रिफ्लेक्शन की वजह से रात्रिकालीन वन्य जीवन पर भी असर होने की आशंका जताई गई थी. (तस्वीर: shutterstock)
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