नागरिकता संशोधन एक्ट के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन जारी हैं. पुलिस प्रशासन ने एहतियातन धारा कई इलाकों में धारा 144 लगा रखी हैं. जानिए कब हुई धारा 144 की शुरुआत और इसके नियम क्या हैं?
धारा 144 को संवैधानिक भाषा में कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानि सीआरपीसी धारा 144 कहा जाता है. इस धारा की रूप रेखा राज रत्न ईएफ देबु ने तैयार की थी. जो पहली बार साल 1861 में बड़ौदा स्टेट में लागू की गई.
सुरक्षा संबंधी खतरे या दंगे की आंशका होने पर क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए इस धारा का इस्तेमाल होता है. इसके लगने के बाद 4 या उससे ज्यादा लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं. इसको लागू करने के लिए जिलाधिकारी को एक नोटिफिकेशन जारी करना पड़ता है.
धारा 144 और कर्फ्यू में बड़ा अंतर होता है. कर्फ्यू के दौरान लोगों को अपने घरों में रहने का निर्देश होता है. जहां मार्केट, स्कूल और कॉलेज आदि बंद रहते हैं. लेकिन धारा 144 के दौरान सभी कुछ खुला रहता है.
बाबूलाल परते बनाम महाराष्ट्र राज्य (1961) केस में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 144 को लेकर कुछ बातें कहीं हैं. धारा कहती है कि मजिस्ट्रेट को संतुष्ट होना चाहिए कि सार्वजनिक सुरक्षा पर आसन्न खतरे को रोकने के लिए विशेष कृत्यों पर तत्काल रोकथाम आवश्यक है.
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