13 जनवरी 1936 को वर्धा रेलवे स्टेशन पर एक अंग्रेज महिला उतरीं. वो खासतौर पर एक उद्देश्य से गांधी से मिलने आईं थीं. वो गर्भ निरोध की विशेषज्ञ थीं. उनका नाम था मार्गरेट सैगर. वर्धा स्टेशन से आश्रम तक वो बैलगाड़ी पर बैठकर पहुंचीं. गांधी जमीन पर शॉल लपेटकर बैठे हुए थे और उनका इंतजार कर रहे थे. वो गांधीजी के लिए कई उपहार और किताबें लेकर आई थीं. (file photo)
मिस सैगर ने न्यूयॉर्क में 1917 में गर्भ निरोधक क्लिनिक खोली हुई थी. कहा जा सकता है कि अमेरिका में उन्होंने महिलाओं को गर्भ निरोध के प्रति जागरूक करने के लिए आंदोलन शुरू किया था. हालांकि उनके इस कदम से प्यूरिटन और कैथोलिक दोनों ही उनके खिलाफ हो गए थे. मिस सैगर कहती थीं, "एक महिला के शरीर पर केवल उसी का अधिकार है." मार्गरेट सैगर को बंदी बनाया गया. बदनाम किया गया. पुलिस ने डराया धमकाया. लेकिन वह अपना काम करती रहीं. (file photo)
मिस सैगर खूबसूरत आयरिश महिला थीं. वो चाहती थीं कि भारत में भी गर्भ निरोध के तरीकों को इस्तेमाल में लाया जाए. उन्हें अंदाज था कि उनके इस अभियान में गांधी उनकी कोई खास मदद नहीं करने वाले. जब मार्गरेट आश्रम पहुंचीं उस दिन गांधी ने उनका स्वागत जरूर किया लेकिन वो उनके मौन, ध्यान और प्रार्थना का दिन था. कोई बात नहीं हो पाई. मार्गरेट को अतिथि कक्ष में पहुंचा दिया गया. वो छोटा सा चार कमरों का घर था. जहां बगैर गद्दों की चारपाइयां थीं और पत्थर की मेज कुर्सियां. (file photo)
रॉबर्ट पेन की किताब "लाइफ एंड डेथ ऑफ महात्मा गांधी " के अनुसार आश्रम का वातावरण सैगर को बहुत आकर्षित नहीं कर सका. वहां सिंचाई के लिए कोल्हू और लकड़ी के चक्के का प्रयोग किया जा रहा था. उन्हें हैरानी हो रही थी कि गांधी क्यों जानबूझकर मशीनों से मुंह मोड़े हुए हैं. लेकिन उन्होंने ये भी महसूस किया कि गांधी के इर्द गिर्द एक दीप्तिमय वातावरण होता है. चूंकि गांधी एक अच्छे स्वाभाव के आतिथेय थे लिहाजा मार्गरेट को उम्मीद बंधने लगी कि वह उनकी बातों को समझेंगे. (wiki commons)
अगले दिन जब मार्गरेट की मुलाकात गांधी से हुई तो वह अपने तर्कों के साथ उन्हें मनाने में जुट गईं. लेकिन जैसे ही वो एक तर्क प्रस्तुत करतीं गांधी उसे काट देते. उनका केवल एक सिद्धांत था, जिसके आगे मार्गरेट के सारे तर्क फेल हो रहे थे. गांधी की दृष्टि में "जनन के उदेश्य के अतिरिक्त संभोग पाप है, किसी दंपत्ति के वैवाहिक जीवन में केवल तीन या चार बार संभोग होना चाहिए, क्योंकि परिवार के लिए तीन या चार बच्चों की जरूरत होती है. गर्भ निरोध का एकमात्र प्रभावी उपाय ये है कि दंपति पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करें, जब वास्तव में बच्चे की जरूरत हो तभी संभोग करें." इसके बारे में मार्गरेट सेंगर ने फिर से विस्तार से लिखा भी. (maragret sanger blog)
गांधी अपने तर्क बिल्कुल शांत और धीमी आवाज के साथ सधे हुए शब्दों में रख रहे थे. मिस सैगर थोड़ी विचलित थीं. उन्हें लग रहा था कि गांधी उनकी बातों और भावों को अपने अंदर जाने ही नहीं दे रहे थे.संतति निरोध पर गांधी के विचारों का निर्धारण उनके अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर ही हुआ था. मिस सैगर ने शुद्ध प्राकृतिक उपाय भी सुझाए. वर्धा में नींबू के पेड़ भी थे और वहां कपास भी उगता था. दोनों पूरी तरह से प्राकृतिक थे. नींबू के रस में रूई का डूबा फोहा एक आसान गर्भ निरोधक था. गांधीजी को इस तरीके पर भी सख्त एतराज था. उनके अनुसार रुई का फाहा भी प्राकृतिक प्रक्रिया में एक अप्राकृतिक बाधक था. (maragret blog)
महिलाओं को अपने पतियों का विरोध करना सीखना होगा और आवश्यकता पड़े तो अपने पतियों को छोड़ देना चाहिए." गांधी का विश्वास था कि औरतों को अनिच्छापूर्वक अपने पतियों की इच्छापूर्ति का यंत्र बनना पड़ता है. उनका कहना था, "अपनी पत्नी को धुरी बनाकर मैंने औरतों के संसार को जाना है. दक्षिण अफ्रीका में अनेक यूरोपीय महिलाओं से मेरा परिचय हुआ. मेरे अनुसार सारा दोष पुरुषों का है. अगर बचे हुए बरसों में मैं औरतों को ये विश्वास दिला पाऊं कि वो भी स्वतंत्र हैं तो भारत में हमें जनसंख्या नियंत्रण की कोई समस्या नहीं रहेगी. अपनी परिचित महिलाओं को मैंने विरोध के तरीके सिखाए हैं पर वास्तविक समस्या ये है कि वो विरोध करना ही नहीं चाहतीं." (file photo)
गांधी ब्रह्मचर्य और इस विषय पर बहुत कुछ बोल सकते थे. कभी-कभी तो मिस सैगर चकित रह जातीं कि सुख और विलास चाहे कहीं भी क्यों न हो, गांधी आखिर क्यों उसका इतने कटु तरीके से विरोध कर रहे हैं. वो चॉकलेट और यौन संबंधों को एक तराजु पर कैसे रख सकते हैं. गांधी का तर्क ये भी था कि व्यक्ति तभी सच्चा प्रेम कर पाता है जब वासना मर जाती है, तब केवल प्रेम रह जाता है. ये वार्तालाप बहुत लंबा होता चला गया. इससे गांधी की ऊर्जा समाप्त हो चुकी थी. गांधी अपने जीवन के निचोड़ ब्रह्मचर्य का एक दुर्जेय विरोधी के सामने बचाव कर रहे थे और गहरे तनाव में थे. (file photo)
मिस सैगर इसके बाद अपने अभियान को लेकर भारत में कई और जगहों पर गईं. कई और लोगों से मिलीं. रविंद्र नाथ ठाकुर ने खुले दिल से उनका स्वागत किया. वो बडौदा के महाराजा गायकवाड़ और नेहरू की बहन की अतिथि भी बनीं. आखिरकार उनका सिद्धांत मान लिया गया लेकिन गांधी के निधन के बाद. भारत सरकार ने देशभर में गर्भ निरोधकों को प्रोत्साहन और समर्थन देना शुरू कर दिया. भारत दुनिया का पहला देश भी बना, जिसने 1952 में परिवार नियोजन प्रोग्राम शुरू किया. (maragret sanger blog)
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